बेवज़ह ज़िंदगी में वज़ह की तलाश - करता हुआ नवयुवक - और उसकी कोशिश के रूप में जन्म लेनी वाली कविताएं - पल पल - प्रतिक्षण जिस - हालत से गुजरता है - वह उसे कविता में व्यक्त करने की कोशिश करता है, चाहे वो खुद क लिए गुस्सा या प्यार हो, खुद से शिकायत हो, किसी से प्रेम हो, किसी से शिकायत हो, शिकवे गिले, रोजमर्रा की ज़िंदगी को इस पुस्तक में कविता के रूप में प्रदर्शित किया गया है - इसे किसी नवयुवक का यात्रा वृतांत काव्य पुस्तक कह सकते हैं - या आप कह सकते हैं की जब ज़िंदगी बेवज़ह लगने लगे तो वज़ह ढूंढ लेनी चाहिए क्युकी ज़िंदगी बेवज़ह नहीं होती है - आप भी अपनी ज़िंदगी की वजह इस पुस्तक की कविताओं के नवयुवक की तरह उसकी कविताओं को पढ़कर ढूंढ़ने की कोशिश कीजिये।
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