यह एक बंदिश है, शब्ददारी की अल्हड़ रागदारी है, सात-सुरों के तयशुदा श्रुतियों की ख्याल परंपरा से अल्हदा आवारगी का नाद स्वर है, गढ़े हुए बासबब लफ्जों से इतर स्वतः-स्फूर्तता का बेसबब बहाव है, ठुमरिया ठाठ की लयकारी के सहेजपनें से जुदा सहज-सरल-सुग
बोध कथाएं प्रेरक होती हैं और वे एक सीख देती हैं। उस सीख को जीवन में अपनाने से जीवनपथ उन्नति की ओर अग्रसर होता है। वस्तुतः बोध कथाओं की सीख को जीवन में व्यवहार में लाने पर वे सार्थक हो जाती हैं और पढ़ने वाले का जीवन सार्थक हो जाता है। बोधामृत नामक पुस्तक में प्रेरक व जीवनोपयोगी 101 बोधकाथाएं आपके उपय