ईपीएफ हायर पेंशन योजना
भारत सरकार ने वर्ष २००४ से सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देना बंद कर दिया है। पीएसयू में पेंशन पहले से नहीं थी। प्राइवेट कर्मचारियों को भी पेंशन नहीं मिलती है।
वर्तमान में देश में काम कर रहे सभी कर्मचारियों की भविष्य की सुरक्षा भारत सरकार के ईपीएफ विभाग के हाथों में है। नियोक्ता कर्मचारियों के वेतन का लगभग १२.५ प्रतिशत उनके वेतन से काटकर ईपीएफ विभाग में जमा करता है। साथ ही साथ नियोक्ता अपनी तरफ से १३ प्रतिशत कर्मचारी के ईपीएफ खाते में जमा करता है। इस तरह हर महीने के वेतन का लगभग २५ प्रतिशत भाग ईपीएफ के तौर पर जमा होता है।
पहले ईपीएफ खाते ओफलाइन होते थे। जबकि वर्तमान में ईपीएफ खाते ओनलाइन हैं। प्रत्येक कर्मचारी का एक UAN नंबर होता है जो कि स्थानांतरण अथवा कंपनी बदलने के बाद भी निश्चित रहता है।
आम धारणा है कि रिटायर्मेंट के अवसर पर फंड कितना भी मिल जाये पर पेंशन का अलग ही मजा है। फंड खर्च हो जाता है तथा मासिक पेंशन से ही बुढापे की उचित सुरक्षा होती है।
वैसे ईपीएफ की वर्तमान व्यवस्था में भी पेंशन लाभ है जो कि बहुत ज्यादा कम है। पर अब ईपीएफ विभाग ने हायर पेंशन योजना लागू की है। इसके लिये ओनलाइन विकल्प मांगे गये हैं। तथा विकल्प जमा करने की अंतिम तिथि २६ जून २०२३ है।
ईपीएफ की इस नवीन व्यवस्था में कर्मचारी का अंशदान उसे रिटायर्मेंट के अवसर पर फंड के रूप में मिलेगा जबकि नियोक्ता का अंशदान नहीं मिलेगा। उसके स्थान पर ५५ वर्ष की आयु में कर्मचारी के वेतन का लगभग आधी पेंशन उन्हें आजीवन मिलती रहेगी।
इस व्यवस्था में कुछ लाभ हैं तथा कुछ हानि भी हैं। दोनों पर चर्चा आवश्यक है।
हायर पेंशन का आप्शन चुनने में लाभ - ज्यादातर पेंशनजीवी बुजुर्ग पेंशन के लाभ से परिचित हैं। पेंशन होने पर बुजुर्गों का जीवन सम्मान के साथ व्यतीत होता है। फंड तो बहुत जल्दी किसी न किसी काम में खर्च हो जाता है। फंड की मात्रा से खर्च का अनुपात भी बढ जाता है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है तथा वह सामाजिक बंधनों से बंधा होता है। अक्सर धन होने पर धन का खर्च करना आवश्यक होता है। यदि बेटे या बेटी को किसी तरह की समस्या है तो मनुष्य उस समस्या को मिटाने के लिये अपने फंड की कुर्बानी आसानी से दे देता है। तथा एक बार फंड की रकम मिट जाने पर वह दूसरों पर आर्थिक रूप में आश्रित हो जाता है। इस कारण कम फंड के साथ अधिक पेंशन का बिकल्प चुनना अधिक लाभ की बात है।
हायर पेंशन चुनने में हानि - इस आप्शन में कुछ हानि भी हैं। यदि आप अपने अधिक फंड को खर्च किये बिना उचित निवेश करने में सक्षम हैं तो फिर हायर पेंशन का आप्शन चुनना अधिक उचित नहीं है। डाकखाने में तथा विभिन्न बैंकों में मंथली इन्कम स्कीम के तहत यदि अधिक राशि जमा करायी जाये तो प्रति माह मिलती व्याज का पेंशन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है तथा मूल राशि अंत तक बची रहेगी। इसी तरह प्रोपर्टी आदि में निवेश कर उसके किराये से भी नियमित आय की जा सकती है। हायर पेंशन आप्शन चुनने पर ईपीएफ विभाग जब से ईपीएफ खाता बना है, उस समय से नियोक्ता के अंशदान को हटा देगा। इसमें एक शर्त यह भी है कि जिन लोगों ने ईपीएफ से पैसा निकाला है, उनके नियोक्ता के अंशदान से भी आवश्यक कटौती कर दी जायेगी।
इस योजना में मुख्य बात है कि पेंशन का निर्धारण ५५ वर्ष की आयु के वेतन के आधार पर होगा। तो एक परिस्थिति यह भी हो सकती है कि किसी आदमी का आज की तारीख में अच्छा खासा वेतन है, उसी हिसाब से ईपीएफ भी अच्छा कट रहा है, पर दुर्भाग्य से आदमी की अच्छी नौकरी छूट जाये तथा ५५ वर्ष की अवस्था में वह कम वेतन पर कार्य करने को बाध्य हो रहा हो तो फिर ज्यादा फंड छोड़ने के बाद भी उसे कम पेंशन मिलेगी। (इसका उल्टा भी हो सकता है। यदि पचपन वर्ष से कुछ पूर्व कंपनी बदलने पर उसे दुगना वेतन मिलने लगे तो कम फंड गंवाने के बाद भी ज्यादा पेंशन मिलेगी)
क्योंकि यह पेंशन योजना है, इसलिये इसका अधिक लाभ मनुष्य के अधिक समय तक जीवित रहने पर निर्भर करता है। तथा जीवन तो मनुष्य के हाथ में नहीं है। यदि कोई व्यक्ति ६० वर्ष से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गया तो फंड की बहुत सी राशि छोड़ देने के कारण उसके परिजनों को कम ही राशि मिलेगी तथा पेंशन की तो शुरुआत भी नहीं होगी।
इस तरह ऊपर दिये गये लाभ हानि पर विचार करने के बाद यह माना जा सकता है कि हायर पेंशन आप्ट करने की योजना एक तरह से जूआ ही है जिसमें लाभ भी हो सकता है और हानि भी। अतः उचित है कि प्रत्येक पहलू पर गहराई से विचार कर इसे ओप्ट किया जाये।
यदि व्यक्तिगत रूप से मेरी बात की जाये तो मैंने हायर पेंशन का बिकल्प आनलाइन चुन लिया है। तथा इस समय इतने कर्मचारी हायर पेंशन को चुन रहे हैं कि बहुधा ईपीएफ की वैवसाइट हैंग सी हो जाती है।
यह योजना मुझे अच्छी लगी है। हालांकि मुझे एक बात गलत लगी है। मेरी राय में रिटायर्मेंट के अवसर पर कर्मचारी से विकल्प मांगना चाहिये। वह उस समय की स्थिति के अनुसार क्या उचित रहेगा, का निर्णय लेता, तो अधिक अच्छा रहता।
उपरोक्त जानकारी मेरे अनुसार सही है। फिर भी बहुत संभव है कि इन जानकारियों में भी कुछ आंशिक त्रुटि हो तथा मेरे समझ में कुछ बात पूरी तरह न आयीं हों, इसलिये उचित है कि हायर पेंशन आप्ट करने या न करने का फैसला आप लोग पूरी जानकारी लेकर करें।
दिवा शंकर सारस्वत