अक्टूबर २०२२ की डायरियों का संग्रह
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डायरी दिनांक ०२/१०/२०२२ दोपहर के दो बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । कल दिनांक ०१ अक्टूबर को बीएसएनएल स्थापना दिवस मनाया गया था। ०१ अक्टूबर सन २००१ को ही बीएसएनएल की स्थापना की गयी थी। उससे पू
डायरी दिनांक ०५/१०/२०२२ रात के आठ बजकर तीस मिनट हो रहे हैं । पूरी साल कन्याओं को दुत्कारने तथा मात्र नवदुर्गा में कन्याओं का पूजन करने से शायद ही कन्या पूजन का उद्देश्य सफल हो। फिर भी सं
डायरी दिनांक ०७/१०/२०२२ शाम के छह बजकर पांच मिनट हो रहे हैं । बेमौसम बरसात के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। मेरी याददाश्त में इतनी अधिक मात्रा में सितंबर और अक्टूबर के महीने में कभी
डायरी दिनांक ०८/१०/२०२२ शाम के सात बजकर पैंतालीस मिनट हो रहे हैं । आज सुबह जगा तो पाया कि काफी तेज बारिश हो रही है। धीरे-धीरे बारिश की तेजी बढती गयी। एक दो बार बारिश जरा कम हुई और फिर से अपन
डायरी दिनांक ०९/१०/२०२२ शाम के छह बज रहे हैं। कल रात से बारिश शुरू हुई तो फिर पूरी रात और और आज पूरे दिन रुक रुक कर तेज बारिश होती रही। सुबह के समय तो ज्यादा ही तेज बारिश हुई। आज शरद
डायरी दिनांक १०/१०/२०२२ शाम के सात बज रहे हैं। वर्ष २०७० तक यदि मैं जीवित रहा तो मैं अपने जीवन के नब्बे बसंत देख चुका हूंगा। वर्तमान समय में लोगों की आयु को देखते हुए ऐसी स्थिति का आ पान
डायरी दिनांक ११/१०/२०२२ रात के आठ बज रहे हैं। फसलों को लगभग बर्बाद कर आज बारिश कुछ थमी रही। जिस किसी भी किसान से मुलाकात हुई, वह लगभग रोता हुआ सा मिला। किसान की मेहनत तो तभी सार्थक
डायरी दिनांक १३/१०/२०२२ रात के आठ बजकर दस मिनट हो रहे हैं । बाहर पटाखों की आवाज आ रही है। शायद चांद निकल आया है। वैसे छत पर जाकर देखा जा सकता है कि आस पास क्या चल रहा है। पर ऐसा करने का
डायरी दिनांक १५/१०/२०२२ शाम के छह बजकर चालीस पच्चीस मिनट हो रहे हैं । वर्ष १९३१ में आज की तारीख दिनांक १५ अक्टूबर को केरल प्रदेश के रामेश्वरम शहर के एक मछुआरे परिवार में भारत के भूतपूर्व राष्ट
डायरी दिनांक १६/१०/२०२२ सुबह के नौ बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं ।कल दिनांक १५/१०/२०२२ को मेरे पास शब्द इन टीम से फोन आया। मुझे बताया गया कि दिनांक १३/१०/२०२२ को विषय करवा चौथ पर लिखी मेरी कविता म
डायरी दिनांक १९/१०/२०२२ दोपहर के बारह बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं । आज बहुत दिनों बाद डायरी लिखने बैठा हूँ ।अथवा सही बात है कि आज डायरी लिखना आवश्यक सा हो गया है। कल से देख रहा हूँ कि एक ल
डायरी दिनांक २२/१०/२०२२ शाम के पांच बजकर पचास मिनट हो रहे हैं । आज धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान कुबेर धन के रक्षक देवता कहे गये हैं। आज के दिन भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस के
डायरी दिनांक २५/१०/२०२२ शाम के तीन बजकर बीस मिनट हो रहे हैं । कल दीपावली की छुट्टी के दिन का आरंभ ठाकुर जी के सिंहासन की सजावट के साथ हुआ। इस बार फूल बहुत ज्यादा मंहगे हो गये हैं। प
डायरी दिनांक ३०/१०/२०२२ शाम के छह बज रहे हैं।कुछ दिनों से डायरी लेखन शिथिल चल रहा है। अभी प्रतिलिपि के मंच पर एक उपन्यास जिंदगी की कहानी का लेखन कर रहा हूँ। प्रतिलिपि के मंच पर जिस तरह से पाठक म