बहन श्रीमती शिखा श्रीवास्तव द्वारा उपन्यास 'वैशालिनी' की समीक्षा
मेरे द्वारा लिखित उपन्यास को शापजीन प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस उपन्यास को प्रतिलिपि की प्रसिद्ध लेखिका बहन श्रीमती शिखा श्रीवास्तव ने पढा तथा उसकी समीक्षा लिखकर मुझे भेजी है जो कि निम्न प्रकार है -
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अभी-अभी आदरणीय दिवाशंकर भैया का उपन्यास 'वैशालिनी' पढ़ा जिसे शोपीजन ने पेपरबैक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है।
ऐतिहासिक चरित्रों पर आधारित इस प्रेम-कहानी को पढ़ते हुए ऐसा अनुभव होता है जैसे आप वर्तमान से निकलकर उसी पुरातन अतीत में पहुंच गए हों।
मानों राजकुमार अविक्षित की तड़प और राजकुमारी वैशालीनी की पीड़ा से आप स्वयं साक्षात्कार कर रहे हों।
राजकुमार के साथ राजकुमारी की तलाश में भटकता हुआ पाठक मन ही दिवाशंकर भैया की लेखनी की खूबी बताने के लिए काफी है।
ऐतिहासिक विषयों पर उनकी पकड़, चरित्र-चित्रण के साथ वातावरण निर्माण में उनकी लेखनीय क्षमता भलीभांति उभरकर सामने आती है।
अविक्षीत और वैशालिनी की ये अनुपम कथा हमें बताती है कि प्रेम स्वयं में इतना शक्तिशाली होता है कि अपनी पुकार के मध्य आने वाले सभी अवरोधों को स्वतः ही समाप्त कर देने की क्षमता रखता है, आवश्यकता है तो बस अपने प्रेम पर दृढ़ विश्वास बनाए रखने की।
इस उपन्यास की सफलता की कामना करते हुए मैं दिवाशंकर भैया को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ।
साथ ही ये आशा करती हूँ कि वो भविष्य में भी हमें ऐसे ही सशक्त कथानकों से रूबरू करवाते रहेंगे।
©शिखा श्रीवास्तव
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मैं उपरोक्त प्रेरक समीक्षा के लिये बहन श्रीमती शिखा श्रीवास्तव का आभार व्यक्त करता हूँ। साथ ही साथ आप सभी से निवेदन करता हूँ कि आप इस उपन्यास को पढकर देखें। यह उपन्यास शापजीन प्रकाशन की वैवसाइट, शापजीन प्रकाशन के एप के साथ साथ अमेजन और फ्लिपकार्ड पर भी बिक्री हेतु उपलब्ध है।