साहिल ने फ्लैट की डोरबेल बजाई और दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगा।
रात के सवा ग्यारह बजे का वक्त था। साहिल ललितनगर की एक पाॅश कालोनी किंजल सोसायटी के सी ब्लॉक की बिल्डिंग की चौथी मंजिल के फ्लैट नंबर 412 के सामने खड़ा था। ये फ्लैट साजन कोहली का था। साजन एक चालीस साल के आसपास का व्यक्ति था।
साहिल सोसायटी में गेट से नहीं घुसा था बल्कि सोसायटी की बाउंड्री वॉल को लांघकर अंदर आया था जिससे सोसायटी का गार्ड उसको न देख सके। बिल्डिंग में भी उसने चौथी मंजिल पर पहुंचने के लिए सीढ़ियों का सहारा लिया था क्योंकि वो जानता था कि लिफ्ट का इस्तेमाल करने पर वह सी सी टी वी की जद में आ सकता था। साजन ने काला पैट और काली जैकेट पहन रखी थी। एक कैप लगाया हुआ था जो आंखों पर झुकी हुई थी। जहां से सीढ़ियां शुरू होती थीं उस दीवार पर सी सी टी वी कैमरा लगा था इसलिए वो दीवार से चिपक कर सरकता हुआ सीढ़ियों तक पहुंचा था। वो इस बात से मुतमईन था कि न तो उसे किसी ने देखा था और न ही वो किसी कैमरे की पकड़ में आया था।
साजन ने दरवाजा खोला और साहिल को देखते ही बोला,
" तुम ??? "
और उसने दरवाजा बंद करने की कोशिश की। साहिल ने अपना पैर चौखट और दरवाजे के बीच फंसा दिया और उल्टे हाथ से जोर का धक्का दरवाजे को दिया। दरवाजा तेजी से खुला और धक्के के कारण साजन पीछे की तरफ फर्श पर पींठ के बल गिरा। साहिल ने अंदर प्रवेश किया और बिना मुड़े पैर के धक्के से दरवाजे को वापस बंद कर दिया। साहिल ने अपने दांये हाथ में पकड़ी हुई रिवाल्वर साजन पर तान दी। साजन का चेहरा सफेद पड़ गया। वो जमीन पर पड़े पड़े साहिल से बोला,
" नहीं.... नहीं.....गोली मत चलाना। मुझे माफ़ कर दो। लैट मी एक्सप्लेन, प्लीज़ !!! "
" क्या एक्सप्लेन करेगा ? कुछ नहीं सुनना मुझे। बड़ी मुश्किल से ढूंढा है तुझे। " साहिल गुर्राकर बोला।
" प्लीज़ पीके ! एक बार मेरी बात सुन ले। मैं... मैं....समझा सकता हूं। " साजन ने उठकर घुटने के बल बैठते हुए गिड़गिड़ा कर कहा।
" अब कुछ नहीं समझना मुझे। " इतना कहकर साहिल ने अपना रिवाल्वर वाला हाथ तेजी से घुमाकर रिवाल्वर का बट्ट साजन की खोपड़ी पर मारा। साजन जोर से कराहा और फर्श पर गिर गया। उसकी चेतना लुप्त हो गई।
साहिल ने सोफे से एक पिलो उठाया, साजन के माथे पर रखा, रिवाल्वर को पिलो में सटाया और ट्रिगर दबा दिया। धप्प की आवाज़ आई और गोली साजन के माथे में जा धंसी। साजन के शरीर ने एक झटका लिया और शांत हो गया। साहिल ने बांये हाथ की दो उंगलियों को साजन की नाक से सटाया। साजन मर चुका था। साहिल फ्लैट से बाहर निकला और फ्लैट का दरवाजा बंद कर दिया। आटोमेटिक लॉक होने के कारण दरवाजा लॉक हो गया। साहिल जिस रास्ते से आया था वैसे ही उस सोसायटी से बाहर निकल गया। उसने सड़क पर आकर किनारे खड़ी बाइक उठाई और वहां से निकल गया। उसके चेहरे पर सुकून के भाव थे। आज वो अपने इंतक़ाम के एक हिस्से को अंजाम दे चुका था।
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सुबह दस बजे साजन के बगल वाले फ्लैट में रहने वाले राकेश गुप्ता ने देखा कि साजन के फ्लैट के दरवाजे पर दूध के पैकेट अभी भी पड़े हुए थे। गुप्ता ने साजन के फ्लैट की डोरबेल बजाई। कोई उत्तर नहीं मिला। उसने बार बार बैल बजाई लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो उसने नीचे जाकर गार्ड को बोला। गार्ड ने भी ऊपर आकर कोशिश की लेकिन जब दरवाजा नहीं खुला तो उसने अपने केबिन में जाकर पुलिस को फोन किया।
कुछ ही देर में पुलिस की एक जीप आकर रुकी और उसमें से एक लंबा चौड़ा पुलिसवाला उतरा। छः फुट से निकलती हुई हाईट, किसी बॉडी बिल्डर की तरह जिस्म और बड़ी बड़ी मूंछें उसको बहुत प्रभावशाली बना रही थीं। वो उस एरिया के थाने का इंचार्ज सीनियर इंस्पेक्टर संग्राम सिंह था। गार्ड दौड़कर उसके पास पहुंचा और उसको सैल्यूट मारकर उसे साजन के फ्लैट पर ले गया। ताला खोलने वाले को पहले ही बुलाया हुआ था। वहां बाकी फ्लैट वाले भी आ चुके थे।
इंस्पेक्टर संग्राम के इशारे पर चाबी बनाने वाले ने फ्लैट का ताला खोल दिया। संग्राम सिंह ने फ्लैट के अंदर प्रवेश किया। सामने ही साजन की लाश पड़ी थी। उसने अंदर के क्राइम सीन का मुआयना करने लगा। तभी एक आदमी बहुत तेजी से अंदर आया और साजन की लाश देखकर जोर से चिल्लाया,
" साजन......साजन..... " और साजन की लाश की तरफ़ जाने लगा। सिपाहियों ने उसे बीच में ही थाम लिया। संग्राम सिंह ने उसको घूर कर देखा और गुर्राते हुए बोला,
" कौन हो तुम ? "
••••• कौन था साहिल ? कौन था साजन ? साहिल ने साजन का खून क्यों किया ? जो बाद में दौड़ते हुए आया था वो आदमी कौन था ? जानेंगे अगले भाग में •••••