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जाम, ,,,,,, ब्रजमोहन पाण्डेय

13 अक्टूबर 2021

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साकिया यूँ न पिला, ये जाम इतनी हसरत से
कि ये दिल भी उछलकर जाम में आ जाये, 
जाम की नशा आये न आये क्या मालूम, 
नशा तेरी आँखों से छलके, हमपर आ जाये.
,,,,,,,, ब्रजमोहन पाण्डेय.

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