लगी नजर जब, नजर से उनकी,
नजर, नजर से, हटी नहीँ है,
छलक गयी हे, नजर की मदिरा,
मगर नजर मे, घटी नहीं है,
सुरुर नजरों की जब नजर पर,
चढी, नजर तो, मदहोश ही है,
नजर से कैसे कहूँ, नजर को,
नजर तभी से, खामोश ही है,
नजर हटाकर कर, कभी नजर से,
नजर झुकाये, नजर न आना,
अगर नजर न उठे नजर पर,
नजर से नजरों मे, घुल जाना.
नजर से जानम, कभी नजर को
हटा नजर को कही न जाना,
नजर जमाने की जब लगे तो
, नजर मे रहना, नजर न आना.
जमाने की नजरों मे उठना है,
बड़ों के आगे नजर झुकाना,
नजर मे आना है, बात जायज,
नजर बचाना, न, गीर जाना.
ब्रजमोहन पाण्डेय.