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बहुत खूबसूरत और लाजवाब रचनाओं से युक्त आपकी डायरी
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<div>साकिया यूँ न पिला, ये जाम इतनी हसरत से</div><div>कि ये दिल भी उछलकर जाम में आ जाये, </div>
<div>इंतज़ार,,,, ,,, ब्रजमोहन पाण्डेय</div><div>उनकी जुल्फें घटायें बनकर हवा मे जैसे बहक रही है</div
<div>हर साल दशहरा आता है, हर साल दिवाली होती है, </div><div>दोनों में नारी पूजित है, फिर भी नार
<div>जिंदगी ने क्या दिखाया, मे भला किसको कहूँ, </div><div>कब हंसाया, कब रुलाया, मै भला किसको कह
<div>लगी नजर जब, नजर से उनकी, </div><div>नजर, नजर से, हटी नहीँ है, </div><div>छलक गयी हे,