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jab main tha un chand sitaron k beech

21 सितम्बर 2015

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Jab main tha un chand sitaron k बीच Ye log bag kahte the dekho chand najar aa rha हे Kisi din lagni thi nazar mujhko Aaj vo din aa hi gya Aakhir chand toot hi गया Vo log jo mujhe chand samjhte the Kisi or chand samjh बैठे Mujhe to raste ka patthar samjh बैठे Tootkar girne ka apna alag hi mjja हे Girkar uthne ka bhi apna alag hi mjja हे Par girkar uthna h ab aasan कहाँ Dil me h josh कहाँ Sathi bhi ab sath कहाँ Kumar संदीप
कुमार  संदीप

कुमार संदीप

धन्यवाद ! ओम प्रकाश जी

6 अक्टूबर 2015

कुमार  संदीप

कुमार संदीप

धन्यवाद ! माँ जी

6 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

Sathi bhi ab sath कहाँ........................ये सच है की किसी के २ सब्द मन में खड़े होने का हौसला देते है लकिन ।.........सबसे सच्चा साथी हमारा मन होता है ।….सबसे पहले उसकी ज़रूर सुन लेनी चाहिए ।…।...अच्छे विचार साझा किये है

5 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

... लेकिन आप आसान काम के लिए तो बने ही नहीं हैं, अब देखिये न, इंजीनियरिंग करना भी तो आसान काम नहीं है । लेकिन आप अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ते जा रहे हैं । आप किसी भीड़ में खो जाने वाले शख्स नहीं हैं । तुम एक योद्धा हो, तुम्हें आज के हालात से लड़ना ही होगा । और, जीत इसी के आगे है ।

5 अक्टूबर 2015

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