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ज़िंदगी गमों की

23 अगस्त 2022

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क्यूं कोई अधुरा है किसी के बिना!
हमको कोई क्यूं नही कहता, रात हो चली है शाम की इंतज़ार क्यूं?
यू ही ढल गए आरजू मेरी, दफ़न न हुआ अब तक ताजे रहे गम मेरे!

लोग कहते हैं मुड़ जाओ इस राह से, क्या मुमकिन है मुड़ जाना उस राह से जिस राह में हमने बीस वर्षों से खाली पैर चले हैं! 🙁

क्यूं किसी के लिए सोचे हम , लोगों के विचारों को पढ़ना क्या ज़रूरी है मेरे लिए, क्यूं छोटे बच्चे भी आज दुनियां में मग्न है! क्यूं नही सोचते अपने वर्तमान के बारे में, क्यों ऐसा होता है?

दिल को अपने सजा न दे यू ही,
इस जमाने के बेरुखी के लिए।
क्यूं किसी को दुःख होता है क्यूं जताते है गम अपना किसी से किसी के लिए! 😓😔❤️🙏🏻🙏🏻

मैंने तो ज़िंदगी से मुलाकात करना चाहा, रात ने आकर बसेरा ले लिया!
क्या बताएं ख़बर न थी ख़ुद की, अपना तो सबेरा भी साथ न था!

@आराधना पुहुप

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