क्यूं बदला रे तू जीवन
क्यूं न छोड़ दिया तूफ़ान पे
रहने देते हमें उस समंदर में डूबने के लिए क्यूं लहरों से बचाया तूने
भले आज मुस्कुरा रहे हैं, लेकिन दुःख छिपा है कहीं,
कोन देखता है, मुस्कुरा दो बस दुनियां समझेगी बड़ा भाग्यशाली है।
वो बचपन की यादें वो कैसी फरियादें
वो सावन का पानी वो हमारी कहानी,
वो डबरे का पानी वो मछली पकड़ना,
वो खेतों में कहीं तैरना तैराना
हमने वो गोते लगाए थे हरदम, काश कहीं दिन लौट जो आए,
आता है रोना करें तो क्या करें हम।
वो बारिश में भीगना वो मां की जो डांट सुनते, हरदम थे खेलते,
न काम का बोझ था न थी जीवन बोझिल,
तूने बचपन को छीना बदले मे दी ये जवानी
तू लौटा दे मुझको वो मेरा बचपन, न चाहिए मुझको ऐसी चेतावनी,
गुड्डे गुड़िया की शादी मे हम थे बनते पंडित ढोंग करते और थे हड़पते माल,
कितने थे खुश नसीब हम था जो पास मेरे बचपन, न थी भविष्य की हमें कोई अड़चन।
रोती हूं आज करके याद, वो शादी हमारी, मिट्टी के बर्तन और मिट्टी का खाना वो बैलगाड़ी बनाना वो बर्तन सजाना वो घरौंदे बिना छप्पर के कहीं थी छप्पर तो कहीं थी बालू।
वो सावन की पहली बारिश, वो मेंढकों का टर्रटराना,वो मेढ़क के बच्चे कितने थे अच्छे वो मछली पकड़ना था कितना अच्छा वो हमारा खिलौना का झगड़ा, होता न था लफड़ा वो छोटे छोटे थाली वो नेलपॉलिश के लोटे उसके थे ढक्कन गिलास जिसमें पीती थे पानी,
लौटा दो हमको वो बचपन, वो अतीत कहानी,
ले लो ये तुम्हारी जवानी, लौटा दो हमको हमारी कहानी ।
आराधना पुहुप