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मेरी भावना

23 अगस्त 2022

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नमस्ते सर।

           मैं पूर्व में ही माफ़ी मांगना चाहूंगी क्यूंकि जब मैंने कोई भी काम के लिए कदम बढ़ाया मुझसे गलती हुईं।    


आज जो मैं लिखने जा रही हूं न वो कोई पत्र है न कोई कहानी ये मेरे सत्य ह्रदय का अनुभव है।"मैं कम ही शब्दों में कहना चाहूंगी कि सबसे पहले मुझे लेखन कला अच्छे से नही आता फिर भी हमारे शिक्षक को धन्यवाद कहना चाहूंगी। 

ये समय हमारा ग्रेजुएट  का दूसरा वर्ष है हमें (कबीर की साखियां सुधा) नामक पुस्तक को पढ़ने हेतू देने के लिए हम आपके आभार हैं।🙏 हमनें सिर्फ इस पुस्तक से परीक्षा में अच्छे अंक लाने हेतू नहीं अपितू अपने जीवन के मूल आधार को पहचाना है।🥺 अभी मै इसका अधिक वर्णन करना उचित नहीं समझूँगी क्यूंकि जो मैं मुख्य बात बताना चाहती हूं उस पुस्तक के बारे मे जो मैंने आज ( 17 .7.2021) एक भाग पूरी पढ़ ली। मुझ़े बहुत अच्छा महसूस हुआ।😊😇


 अज्ञेय द्वारा रचित (शेखर एक जीवनी)😥 शेखर नाम ध्यान में आते ही मन मे एक अलग ही कौतुहल उत्पन्न होती है। हम नहीं जानते ये शेखर कोन है (शेखर एक जीवनी) का पात्र है। एक बार इस रचना को जो पढ़ ले ,! उसका क्या होगा 😯 यहां तक मुझे लगता है कि प्रथम पन्नों को समझ न पाए जैसे जैसे उसे पढ़ते जाएगा उन्हें उतने अच्छे से समझ आएगा।

जब मैंने पढ़ा तो मुझे आश्चर्य हुआ आखिर शेखर एक जीवनी है क्या? जैसा कि आप जानते हैं इसके बारे मे, मैं छोटे शब्दों में कहना चाहूंगी हम अपने मुख किसी के सामने कह नहीं सकते कि जैसा हाल शेखर का था मैट्रिक तक ठीक वैसा ही हाल मेरा, 😥 कोई विश्वास करे या न।

भले शेखर एक सजीव बोलने वाला जीव है (निर्जीव कैसे कहूं तुम्हें) 😒 मगर मेरे मन में जो बातें थी जिससे मेरा मस्तिष्क अक्सर लड़ता था वो इस शेखर के विचारों में मिलती है।🥺 

जिस प्रकार प्रेम,घृणा, क्रोध, आदि सभी गुण एक इंसान में पाए जाते हैं। शेखर की तरह मुझे भी किसी वस्तु की तलाश है मुझे पता नहीं आख़िर वह कौन सी वस्तु है और मुझे क्यूं चाहिए मन मेरा एकाग्र नहीं है कितने मनोभूमि में कठिनाई है कितना सफलता है कितना प्रेम है 🙁 मुझे इसका भी ज्ञात नहीं (अगर लोग पागल समझें समझने दो हमें कोई हर्ज नहीं) । कभी कभी तो ऐसा होता है कि मुझे निर्जीव शरीर मे सजीव आत्मा मुझे पुकार कर कहती है कहां है, क्या कर रहे हो।😟 इसकी आवाज तो बस मेरी अंतरात्मा ही सुन सकती है वही समझती है।😇


शेखर के कदमों के पीछे हम खुद को पाते हैं जहां जहां जाता है हम संग ही है उसके जिसकी तलाश उन्हें है वही हमे भी खोजना था। जब शेखर शारदा 😥 को याद करता हम उसे अक्सर रोकने की चेष्ठा करते ,किसी भी स्त्री को याद करे शेखर, ये हमें सहन नहीं, अभी मंजिल दूर थी जिस प्रकार उनका दिल टूट जाता विश्वास टूट जाता तब हम उसे कहते नहीं यहां नही तुम्हे कुछ ढूंढना है। अपने जीवन मे ।

❤️ जब जब शेखर जीवन, प्रेम, शादी, स्त्रियां सभी को भूलने की प्रयत्न करता हमें बहुत आनन्द आता था।😊 ये तो नही पता लेकिन ऐसा नहीं कि हम इनका आदर सम्मान नही करते, हमे भी पूरे मानवता से प्रेम है। यहां दुनिया का प्रेम वास्तविक नहीं क्षणभंगुर भी नही कहा जा सकता किन्तु हम किसी से ईष्ट की भावना नही रखते।

☺️😒 जब किसी लड़की से शेखर बात करना चाहता वहां हम उनके समक्ष नही है फिर भी उन्हें कहते आगे बढ़ते रहे। वह खुद नही चाहता बंधन मे बंधना, फिर प्रेम कैसे संभव है। कभी कभी शेखर की दशा देख यही लगता है काश मैं उसकी सच्ची सखी होती हर दुःख बाटती बेझिझक बोल सकता। हम तो उन्हें अपना मित्र ही मानते हैं क्योंकि उसके विचार में मेरे सभी विचार है।😥 मुझे समन्दर के लहरों ने मित्रों ने नहीं स्वीकारा तो शारदा कैसे स्वीकार सकती है,, यहां मेरा विश्वास टूट ही गया था शेखर के प्रति लेकिन मुझे मालूम था ऐसा नहीं होगा 😊 अंत में शेखर की बात विचार अलग ही होते हैं 😇☺️।।


मेरा मस्तिष्क इसे पढ़ने के बाद कुछ शांत है। मैंने सोचा क्यूं न थोड़ा लिख लूं, रात के 1 बज चुके हैं, बुखार सर पे चढ़ता जा रहा है हम अभी तक नही सोए 🤕🤒



कभी खुद को रात्रि के क्षितिज पर अकेला पाती हूं आसमान और धरती को मिलने वाली समय से मुझे कोई दुःख नहीं है हम अकेले हैं हम सत्या के पास जाना चाहते हैं हमनें सोचा जहां रवि क्षितिज पर रोज खुदखुशी करता है पुनः वापस एक नए भानू का उदय होता है। वहीं सत्या को खोजे पर असफल रहे, हमनें हार नही मानी,

मैंने एक दिन देखा सागर के लहरें शांत हैं मन के, और संध्या अभी तक नही आयी है।🌸🌺💐🌞



मृत्यु एक अंधकार है जो मेरी हर आशाओं हर आनंद को क्षण भर में अपने में विलीन कर लेगी,😰 मैं उन सभी वृक्षों से कहती हूं उन सभी मूर्तिमान पत्थरों से कहती हूं उन जीवन को न चाहने वाले उपेक्षाओं से कहती हूं मैं इस अनजान संसार मे कुचली गई हूं कि प्यार मेरा अनजान हो गया है,, अब तो चांदनी भी मुझसे इतराती है कहां वो दिन जब क्षितिज पर बैठे बातें करते थे कहां वो तरुण स्वर जिसमें एक आशा एक प्रेम, एक कदम जीवन में बढ़ने की शक्ति,, क्या तुमने भी कभी प्रभू का प्रेम पाया है ?

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मैंने ख़ुद की भावना को अपने शिक्षक से साझा करते हुए लिखा है! मुझे तो लेखन कला अच्छे से आती नहीं है , मैं क्षमा पात्र हूं ।

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ज़िंदगी गमों की

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क्यूं कोई अधुरा है किसी के बिना! हमको कोई क्यूं नही कहता, रात हो चली है शाम की इंतज़ार क्यूं? यू ही ढल गए आरजू मेरी, दफ़न न हुआ अब तक ताजे रहे गम मेरे! लोग कहते हैं मुड़ जाओ इस राह से, क्या मुमकिन है

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यादें बचपन की

24 अगस्त 2022
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क्यूं बदला रे तू जीवन क्यूं न छोड़ दिया तूफ़ान पे रहने देते हमें उस समंदर में डूबने के लिए क्यूं लहरों से बचाया तूने भले आज मुस्कुरा रहे हैं, लेकिन दुःख छिपा है कहीं, कोन देखता है, मुस्कुरा दो बस दुनि

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