आसमान से उतर,,, जब नीचे आया ,,, तो देखा ,, पैर रखने को ज़मीन ही नहीं।।।।
फिर सोचा कि कोई ख्वाब है ,, ये ,,,
पर हकीकत मेरी यही निकली।।।
बहुत कोशिशें की ,,, बहुत मेहनत की ,, बहुत बहाया था पसीना,,,,
की एक दिन जरूर पहुँचूँगा,,, उस आसमान तक ,,उसके लिए एक एक दिन गिना।।।।
जमीन से जिस दिन भरी थी उड़ान,,अपने सपनो के पंखों से ,,,तो इतना उड़ा की नीचे देखने का मौका ही नही मिला ।।
ऊपर पहुंचा,, तो देखा ,, की वहां तो सिर्फ खाली आसमान है,,,, न घर ,, न परिवार है ।।।
क्यों इतना उड़ा की ,, परिवार , ओर घर ,, नीचे ही भूल गया ।।
जब याद बहुत आयी, तो रहा नही गया,,, नीचे आया तो देखा ,, की कदम रखने को नही है जमीन।।
बहुत याद आयी पिता जी की कही बात ,, बेटा,, ऊपर उड़ना बेशक , पर कदम जमीन पर ही रखना ,,, अगर कदम उठा लिए तो ,, पैर रखने को भी नही मिलेगी ज़मीन ।।।
सोच के सोचो ,, क्यों करते को इतनी मेहनत,,, जब दो पल परिवार के साथ खुशी मना न सको ।।
ज़मीन पर बैठ,, बच्चों के संग खा न सको ।।।
आसमान में जा कर ,, एक दिन तारा तो बनना ही है ,, पर ज़मीन पर रहकर कभी चांद तो बनो ।।
परिवार के साथ रहो,, ओर खुश रहो ।।।