जाना है मुझको शिरड़ी, रस्ता दो उस शहर की
बरसात हो रही है, मेरे सांई के महर की -2
शिरड़ी को मैं भी जाऊ, तन-मन भिगा के आउं
सजदें में मेरे सांई, मैं तेरे ही गुन गाउं
तुम ही हो मेरे मौला, तुम ही हो मेरे रब जी
बरसात हो रही है मेरे.........
तुझे हमसफर बनाउ, तुझसे मैं दिल लगाउ
मुझे इश्क है तुम्ही से, ये कैसे समझा पाउ
तुझमे ही देखना हूं, तस्वीर मैं सनम की
बरसात हो रही है मेरे.........
रिश्वत मे मेरी भक्ति, स्वीकार कीजिएगा
बिगड़ी मेरी बनाके, मुझे तार दीजिएगा
आया हू तेरे दर पे, सांई सुनले मेरी अरजी
बरसात हो रही है मेरे.........
शिरड़ी मे आके देखा, तन-मन भिगा के देखा
खोया नसीब जागा, बदली करम की रेखा
तेरी बात कुछ अलग है, तेरी शान है गजब की
बरसात हो रही है मेरे.........
जाना है मुझको शिरड़ी, रस्ता दो उस शहर की
बरसात हो रही है, मेरे सांई के महर की
- सनील कुमार