
जतिन दीक्षित
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मैं उनकीं आँखों में आँसू की तरह रहता हूँ,, जलते बुझते हुए जुगनू की तरह रहता हूँ..सब मेरे चाहने वाले हैं पर मेरा कोई नहीं,,मैं भी इस मुल्क में उर्दू की तरह रहता हूँ ..



panditji
या तो बद्चलन हवाओं का रुख मोड़ देंगे हम , या खुद को वाणी पुत्र कसना छोड़ देंगे हम ।।। हिचकिचाएंगे जिस दिन भी सच लिखने से, कागज़ को फाड़ देंगे और कलम को तोड़ देंगे हम।।

panditji
या तो बद्चलन हवाओं का रुख मोड़ देंगे हम , या खुद को वाणी पुत्र कसना छोड़ देंगे हम ।।। हिचकिचाएंगे जिस दिन भी सच लिखने से, कागज़ को फाड़ देंगे और कलम को तोड़ देंगे हम।।