मुझे पता है ट्रेन की खिड़की से तुम दिखाई नही दोगी पर हर बार मैं ट्रेन में चुनता हूँ एक विंडो सीट ताकि मैं देख सकूं बाहर पीछे छूटते पेड़ों को इमारतों को जंगलों को हर उस चीज को जो मुझसे छूटती जा रही है ट्रेन के चलने से मुझे महसूस होता है तुम्हारा अक्स उन हर चीजों में जो मुझसे छुट्ती है बिछड़ती है ये महसूस कराती है की मैं तुमसे दूर हूँ बहुत दूर और मुझे रोक देनी चहिये दुनिया की सारी ट्रेने अपने लाल खून से