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विंडो सीट

27 सितम्बर 2017

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मुझे पता है ट्रेन की खिड़की से तुम दिखाई नही दोगी पर हर बार मैं ट्रेन में चुनता हूँ एक विंडो सीट ताकि मैं देख सकूं बाहर पीछे छूटते पेड़ों को इमारतों को जंगलों को हर उस चीज को जो मुझसे छूटती जा रही है ट्रेन के चलने से मुझे महसूस होता है तुम्हारा अक्स उन हर चीजों में जो मुझसे छुट्ती है बिछड़ती है ये महसूस कराती है की मैं तुमसे दूर हूँ बहुत दूर और मुझे रोक देनी चहिये दुनिया की सारी ट्रेने अपने लाल खून से

जतिन दीक्षित की अन्य किताबें

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अब वो समय नहीं रहा

1 मई 2017
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तुम्हारी कुछ चीज़ें रखी हैं मेरे पास... तुम्हें देने के लिए बड़ी प्यार से खरीदी थीं।। कभी फुर्सत में आकर ले जाना वो सब... जिस उत्सुक्ता के साथ तुम्हें खुद वों चीज़ें देना चाहते थे उतनी उर्जा अब रही नहीं हमारे बीच।।। तुम्हारी कुछ तस्वीरें भी रखी हैं.. वो देंगे नहीं तुम्हें

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तुम ❤

13 जुलाई 2017
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...............हुहहहहहह और हाँ हम जानते हैं व्हाट्सऐप पर 'बाइसेप' वाला इमोटीकाॅन तुम्हें 'लेग पीस' जैसा प्रतीत होता है। हम जानते हैं तुम्हें 'स्यान रंग' एकदम पसंद नहीं है। हमें यह भी पता है तुम्हें दाल मखनी अच्छी नहीं लगती। इन सबके अलावा और भी बहुत

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विंडो सीट

27 सितम्बर 2017
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मुझे पता है ट्रेन की खिड़की से तुम दिखाई नही दोगी पर हर बार मैं ट्रेन में चुनता हूँ एक विंडो सीट ताकि मैं देख सकूं बाहर पीछे छूटते पेड़ों को इमारतों को जंगलों को हर उस चीज को जो मुझसे छूटती जा रही है ट्रेन के चलने से मुझे महसूस होता है तुम्हारा अक्स उन हर चीजों में जो मुझसे छुट्ती है

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होना तो यह चाहिए था ..।।

19 फरवरी 2018
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वह कुछ लोग

6 सितम्बर 2018
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लोग क्या कहेंगे

9 अक्टूबर 2018
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लोग क्या कहेंगे ।वो 29 साल की है, कामयाब है, अपने पैरों पर खड़ी है, ज़िन्दगी अपने तरीके से जीती है, खुश है।फिर भी हर रोज़ माँ-बाप और रिश्तेदार उसे, "शादी की उम्र निकल रही है, अब तुझे कौन मिलेगा!"के ताने सुनाएंगे।क्योंकि बेटी की शादी नहीं हुई, तो लोग क्या कहेंगे?वो दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं, शायद

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जादूगर

9 अक्टूबर 2018
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एक होता है जादूगर और दूसरा जादू। हाँ तुम जादू हो जादू। कुछ भी इतना ख़ास पहले नहीं था जितना तुमसे बतियाने के बाद। तुमसे बातें करने पर ऐसा होता था जैसे ख़ुद को ही ख़ुद की ही बातें समझानी हो। पता है, तुम वो जादू हो जो दुनिया के सारे जादूगर सीखना चाहते हैं, पाना चाहते हैं पर सबके बस का नहीं है ये। तुमको

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जब कहीं मन नहीं लगता ।।।

6 मई 2019
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अक्सर जब कहीं मन नही लगता तो पार्क में आकर बैठ जाता हूँ! सुकून सा मिलता है! अक्सर भीड़ सी रहती हैं यहाँ! रोज़ कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है! हर रोज़ नए चेहरे, नयी तरह से फ़ोटो खींचते लोग और अलग अन्दाज़ में पोज देते युगल! ५०-५५ साल के अंकल आंटी ईव्निंग वाक पे निकले हैं! कुछ बुज़ुर्ग दादा-दादी योगा

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