या तो बद्चलन हवाओं का रुख मोड़ देंगे हम , या खुद को वाणी पुत्र कसना छोड़ देंगे हम ।।। हिचकिचाएंगे जिस दिन भी सच लिखने से, कागज़ को फाड़ देंगे और कलम को तोड़ देंगे हम।।
मैं उनकीं आँखों में आँसू की तरह रहता हूँ,, जलते बुझते हुए जुगनू की तरह रहता हूँ..सब मेरे चाहने वाले हैं पर मेरा कोई नहीं,,मैं भी इस मुल्क में उर्दू की तरह रहता हूँ ..