संवाद बैक ग्राउंड में
दृश्य 1 - आर्मी कैंप में
अफसर - जवान तुम्हारी बहादुरी और हौसले पर हमें गर्व है, आपकी वीरता से खुश होकर, सर्कार आपको ये मैडल और सर्टिफिकेट दे रही है.
जवान - धन्यवाद जनाब
अफसर - लेकिन ये बताओ की अभी तो तुम्हारी इतनी उम्र पड़ी है, जोश भी है, तुम इतनी जल्दी रिटायरमेंट क्यों ले रहे हो ?
जवान - साहब, आप तो जानते ही है, कि मैं अपनी घरवाली को 2 साल पहले ही खो चूका हूँ केदारनाथ के बाढ़ में . घर में मेरी बड़ी माँ है और एक बिटिया है छोटी सी, उनकी देखभाल करूँगा . देश की सेवा तो हो गयी अब मैं अपनी घर को देखूंगा.
अफसर - हां सही कहा चलो तुम्हारा जो फैसला आखिर परिवार भी तो है. चलो ध्यान देना . कभी अगर जरुरत पड़े तो याद कर लेना अपनी यूनिट को. जय हिन्द
जवान - जय हिन्द साहब
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दृश्य 2 - जवान अपने घर पर आ जाता है
जवान - आह कितना अच्छा लगता है अपने घर आकर , अपना घर आखिर अपना ही होता है .
घर आकर अपने
जवान - माँ प्रणाम , क़ानूली कहाँ है ?
माँ - अरे बेटा कैसा है ? क़ानूली ठीक है अंदर होगी. तू बैठ कैसा रहा. तू आ गया रिटायरमेंट लेकर.
बेटी - पापा आ गये
बेटी बाप के गले लगती है. ..... उसके हाथ में पानी का घड़ा है
जवान - बेटी पानी लाने जा रही है रुक मैं भी आता हूँ तेरे साथ.
माँ- अरे बेटा तू रहने दे, आराम कर. मैं तेरे लिए खाना बनाती हूँ
जवान - माँ तू खाना बना मैं अभी आया पानी लेकर क़ानूली के साथ जाता हूँ
बाप बेटी निकल पड़ते है पानी लाने के लिए
रस्ते में बेटी गिर जाती है लेकिन तभी बाप उसे संभल लेता है
बेटी - पापा आपने मुझे संभाल लिया
बाप - हां बेटा मैं हमेशा रहूँगा न तुझे सँभालने के लिये
और फिर वो दोनों पानी भर के वापस आते हैं
दृश्य 3 -
बेटा - माँ मैं सोचता हूँ की गाँव वालो को पानी भरने के लिए रोज इतनी दूर जाना पड़ता है, क्यों न मैं शहर जाकर, पानी के कनेक्शन के लिए सरकारी बाबू से बात करता हूँ
माँ - बात तो बहुत बढिया है बेटा , है भी बहुत जरुरी, बिजली पानी होगी तो बहुत सारा समय बच जायेगा
बेटा - तो ठीक है माँ, मै कल ही निकालता हूँ
माँ - ठीक है बेटा , कितनी चिंता है तुझे गाँव की,
दृश्य - 4
पुरे दिन भर शहर मै सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाने के बाद, वो थका हुआ, अपने घर के लिए बस पकड़ने वाला ही था कि,
जवान - बहुत थक गया इन सरकारी ऑफिस के चक्करों से , इतना तो कभी बॉर्डर पे परेशानी नहीं हुयी, जितना आज एक दिन में हो गया . चलो कोई बात नहीं, काम हो जाये तो बहुत बढ़िया
एक गुंडा लड़की को छेड़ रहा था,
लड़की - भैया प्लीज् मुझे बचाइए, इस गुंडे से.
जवान जाकर उसे निचे गिरता है और गुस्से में
जवान - भूलू , खून में ज्यादा गर्मी है तो बॉर्डर पे दिखाओ , चौबाट में यूँ लड़की छेड़कर अपना खून और जोश बर्बाद मत करो.
और उसको उठा कर भगा देता है.
जवान - बहन आज तो मैंने तुम्हे बचा लिया लेकिन कल कौन बचाएगा , इसीलिए आत्म निर्भर बनो, और कराटे सीखो, ताकि ऐसे मनचलो को सबक सीखा सको.
लड़की - हां भैया , आपने सही कहा, मैं जरूर सीखूंगी
इतने में पीछे से वो गुंडा अपने साथी के साथ आकर उसे चाकू मार देता है. जवान उनसे उलझता रहता है और फिर वो और चाकू मार देते हैं और वो गुंडे भाग जाते है.
घायल जवान - बहनजी प्लीज मुझे हॉस्पिटल ले जाओ, पुलिस को कॉल कर लो
लड़की - भईया मुझे पुलिस के चक्करों मै नहीं पड़ना चाहती, रुको मै एम्बुलेंस को कॉल कर देती हूँ
और वो कॉल कर के वह से निकल जाती है.
जवान घायल पड़ा है और
जवान - देश के लिए लड़ने वाला, दुसरो की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाला मैं आज यहाँ पड़ा हूँ, कोई मदद के लिए नहीं तैयार है.
वो सभी को मदद ले लिए पुकारता है, लेकिन कोई नहीं आता.
जवान - मेरी आँखे बंद हो रही है, उठ नहीं पा रहा हूँ , पता नहीं ये एम्बुलेंस कब आएगी. पता नहीं घर में मेरी बेटी और माँ कैसे होंगे. भगवन उनको सुखी रखना.
और इतने के बाद वो बेहोश हो जाता है.
दृश्य - 5
रेडिओ पर समाचार - आप आकाशवाणी कार्यक्रम सुन ईहे हैं, और अभी अभी के ताजा समाचारो के अनुसार आज शहर मै एक सेना के रिटायर जवान को भरे बाजार चाकू मार दिया गया और उसमे जवान की मौत हो गयी है. पुलिस सरगर्मी से कातिलों की तलाश में जुटी हुयी है.
तभी गाँव का कोई आकर माँ को भी ये खबर देता है की
माँ का रोना शुरू हो जाता है.
दृश्य - 6
बॉडी पड़ी है माँ और बेटी वहां बैठे हैं,
माँ - गाँव वालो मेरे बेटे की क्या गलती थी, वो तो आपके लिए लड़ने गया था ना. अब इस बुढ़ापे मै मुझे और मेरी पोती का क्या होगा . मेरा बेटा दुश्मनो से नहीं हारा लेकिन अपने घरवालों से हार गाया. क्यों किसी ने उसकी मदद नहीं की वह पर.
और उसका रोना शुरू हो जाता है.
इतने में ,
जवान की आत्मा शरीर से निकलती हुयी, कहती है की, - माँ मै अभी मारा नहीं हूँ, यही हूँ तुम्हारे पास. बेटी मैं यहीं हूँ .
काश की कोई मुझे हॉस्पिटल पंहुचा देता, अब कौन मेरे परिवार को संभालेगा.
क्यों हम एक दूसरे की मदद नहीं करते ?
क्यों हम इतने मतलबी हो गए हैं ?
जब भी एक फौजवाले को मौत आती है, वो अकेला नहीं मरता , उसके साथ उसका पूरा परिवार मरता है , जब हम दूसरों की मदद नहीं करेंग तो हमारे लिए कौन खड़ा होगा.
बॉर्डर पर हमेशा लड़ कर जितने वाला मैं आज अपने घर मै , अपने देश मै हार गया.
और सिसकते हुए वो घुटनों, पर गिर ते हुए रोने लगता है.
और पर्दा गिरता है. ..........................................................