यह संसार एक रंगमंच की तरह है ,क्योंकि इसमें सभी मनुष्य चाहे स्त्री हो या पुरुष बहुत सारे रिश्तेदारी नातेदारी का रोल प्ले करते हैं ।इस रंगमंच का जो पर्दा है ,वह है समय ।लोग अभिनय करते हैं और इसका निर्देशन मनुष्य के कर्मानुसार या उसके पूर्व जन्म के अर्जित पुण्य या पाप द्वारा संचालित होता है। इस पूरे जीवन रूपी नाटक के प्रोड्यूसर या निर्माता वह परमपिता परमात्मा है ।अतः जिस व्यक्ति को जो भी रोल प्ले करने के लिए मिला है, वह उसे अपनी पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन करे और इस जीवन रूपी नाटक में अपने आप को सफल करे।