**जीवन की जागीर **
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मेरी तुम तकदीर हो,
जीवन की जागीर हो।
शोभन बारे क्या कहूँ,
परियों सी तस्वीर हो।
हाथों की रेखा तुम्हीं,
राँझे की तुम हीर हो।
सुंदर तन निर्मल है मन,
आंखों बहता नीर हो।
लक्ष्मण रेखा लांघना,
गरदन की जंजीर हो।
मनसीरत मन बांवरा,
बीमारी तुम गंभीर हो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)