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जीवन की जागीर

7 नवम्बर 2022

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**जीवन की जागीर **

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मेरी  तुम   तकदीर हो,

जीवन  की जागीर हो।


शोभन  बारे  क्या कहूँ,

परियों  सी  तस्वीर हो।


हाथों  की  रेखा  तुम्हीं,

राँझे  की  तुम  हीर हो।


सुंदर तन निर्मल है मन,

आंखों   बहता  नीर हो।


लक्ष्मण  रेखा  लांघना,

गरदन  की जंजीर  हो।


मनसीरत  मन  बांवरा,

बीमारी तुम  गंभीर हो।

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सुखविंद्र सिंह मनसीरत

खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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चोरी-चोरी जब नजरें मिली ********************** चोरी-चोरी जब नजरें मिली। तन-बदन मे  थी आग लगी। खिला दिल का कोना-कोना, पिया मिलन की आस जगी। यौवन की रुत बड़ी हरी-भरी, प्यासे  मन  की  प्यास  ब

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जीवन की जागीर

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**जीवन की जागीर ** ****************** मेरी  तुम   तकदीर हो, जीवन  की जागीर हो। शोभन  बारे  क्या कहूँ, परियों  सी  तस्वीर हो। हाथों  की  रेखा  तुम्हीं, राँझे  की  तुम  हीर हो। सुंदर तन

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*** तुम से कोई महबूब नहीं है *** *************************** तुम सा  कोई  प्यारा महबूब नहीं है, तुम बिन कोई हमारा कबूल नहीं है। जी लेंगे  तेरी  यादों के साये में हम, तुम गर करो  किनारा  भूल नही

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26 नवम्बर 2022
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*** तुम से कोई महबूब नहीं है *** *************************** तुम सा  कोई  प्यारा महबूब नहीं है, तुम बिन कोई हमारा कबूल नहीं है। जी लेंगे  तेरी  यादों के साये में हम, तुम गर करो  किनारा  भूल नही

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