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सुखविंद्र सिंह मनसीरत की डायरी

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

9 अध्याय
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sukhvindr sinh mnsiirt kii ddaayrii

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पुस्तक के भाग

1

चोरी चोरी नजरें मिली

4 नवम्बर 2022
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चोरी-चोरी जब नजरें मिली ********************** चोरी-चोरी जब नजरें मिली। तन-बदन मे  थी आग लगी। खिला दिल का कोना-कोना, पिया मिलन की आस जगी। यौवन की रुत बड़ी हरी-भरी, प्यासे  मन  की  प्यास  ब

2

अभी तक याद है

4 नवम्बर 2022
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******* अभी तक याद है ******* **************************** हमें  बीता जमाना अभी तक याद है। मंद मंद मुस्कराना अभी तक याद है। हया में पलकें झुका चोरी से ताकना, होठों  को दबाना  अभी  तक याद है।

3

जीवन की जागीर

7 नवम्बर 2022
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**जीवन की जागीर ** ****************** मेरी  तुम   तकदीर हो, जीवन  की जागीर हो। शोभन  बारे  क्या कहूँ, परियों  सी  तस्वीर हो। हाथों  की  रेखा  तुम्हीं, राँझे  की  तुम  हीर हो। सुंदर तन

4

प्रेम

24 नवम्बर 2022
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*********** प्रेम दोहावली *********** ********************************** खड़ी  पिया  हूँ  बाट  में,आइए   जी हुजूर। पलकें  भी   झपकीं  नही,नयन हुए हैं चूर।। प्रेयसी   जिद्द  पर  अड़ी , देती  है  

5

मन रोता है

24 नवम्बर 2022
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कभी-कभी  मन रोटा है ******************* कभी ना कभी मन रोता है, औरों  का  बोझा  ढोता है। जागता रहता है दिन- रात, कभी नहीं दो पल सोता है। बोए शूल  फूल उगते नहीं, काटता  वही जो  बोता है।

6

तुम सा कोई महबूब नही है

26 नवम्बर 2022
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*** तुम से कोई महबूब नहीं है *** *************************** तुम सा  कोई  प्यारा महबूब नहीं है, तुम बिन कोई हमारा कबूल नहीं है। जी लेंगे  तेरी  यादों के साये में हम, तुम गर करो  किनारा  भूल नही

7

महबूब हीहै

26 नवम्बर 2022
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*** तुम से कोई महबूब नहीं है *** *************************** तुम सा  कोई  प्यारा महबूब नहीं है, तुम बिन कोई हमारा कबूल नहीं है। जी लेंगे  तेरी  यादों के साये में हम, तुम गर करो  किनारा  भूल नही

8

सावन झडी

26 नवम्बर 2022
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*लगी नैनों में सावन झड़ी* ********************* लगी नैनों  में  सावन  झड़ी, गौरी जिद्द पर अपनी अड़ी। खिलौना जान  कर है तोड़ा, किया नहीं  तरस  भी थोड़ा, टूटे दिल की कीमत है बड़ी। लगी  नैनों  में स

9

गुनगनी धूप सा बदन तेरा है

26 नवम्बर 2022
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गुनगनी धूप सा बदन तेरा है ********************** गुनगनी धूप सा बदन तेरा है, मेघों  सा बरसता मन मेरा है। देखूं इक झलक है चैन आए, रात के बाद जैसे हो सवेरा है। गेसुओं की छांव बैठूँ पलभर, दिल

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