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kabita

22 सितम्बर 2015

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हुई भोर उषा की लाली फैली चहुँ दिशा खुशियाली हरी घास पर तुहिन कणों ने चादर मोतियन की है डाली।
वर्तिका

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सुन्दर रचना!

22 सितम्बर 2015

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

सुंदर पंक्तियाँ

22 सितम्बर 2015

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सुबह की राम राम

22 सितम्बर 2015
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एक लंबी और बेअसर जिंदगी उससे तो अच्छी है छोटी सी जिंदगी।कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ राह पर भागती फिर रही है जिंदगी।

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kabita

22 सितम्बर 2015
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हुई भोर उषा की लालीफैली चहुँ दिशा खुशियालीहरी घास पर तुहिन कणों ने चादर मोतियन की है डाली।

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मेरी बात !

29 सितम्बर 2015
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मेरी बातों से सहमत होना आवश्यक नहीं.यदि आपको मेरी बात अच्छी लगी तो मेरी बात मेरी बात न होकर आपकी बात हो गई और मेरी बात अच्छी नहीं लगी तब मेरी बात मेरी बात रह गई

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बेग़म छुट्टी पर हैं

4 मार्च 2016
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इतवार की मोहक सुबह। लम्‍बी नींद से अलसाये हुए हमने अंगड़ाई ली तब घड़ी ने नौ बजा दिये थे। खिड़की से आती सुबह की धूप से तन-मन खिल उठा था। इतवारी सुबह से आनन्‍दित हमने एक-दो-तीन ..................... करके पूरे सात बार शुक्रिया दे डाला उनको, जिन्‍होंने सप्‍ताह में एक दिन छुट्‌टी का बनाया। यह इतवार ना हो

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