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nityanandrai

नित्य नन्द राय

4 अध्याय
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राजनीती  

nityanandrai

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पुस्तक के भाग

1

सुबह की राम राम

22 सितम्बर 2015
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3
0

एक लंबी और बेअसर जिंदगी उससे तो अच्छी है छोटी सी जिंदगी।कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ राह पर भागती फिर रही है जिंदगी।

2

kabita

22 सितम्बर 2015
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2

हुई भोर उषा की लालीफैली चहुँ दिशा खुशियालीहरी घास पर तुहिन कणों ने चादर मोतियन की है डाली।

3

मेरी बात !

29 सितम्बर 2015
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मेरी बातों से सहमत होना आवश्यक नहीं.यदि आपको मेरी बात अच्छी लगी तो मेरी बात मेरी बात न होकर आपकी बात हो गई और मेरी बात अच्छी नहीं लगी तब मेरी बात मेरी बात रह गई

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बेग़म छुट्टी पर हैं

4 मार्च 2016
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1

इतवार की मोहक सुबह। लम्‍बी नींद से अलसाये हुए हमने अंगड़ाई ली तब घड़ी ने नौ बजा दिये थे। खिड़की से आती सुबह की धूप से तन-मन खिल उठा था। इतवारी सुबह से आनन्‍दित हमने एक-दो-तीन ..................... करके पूरे सात बार शुक्रिया दे डाला उनको, जिन्‍होंने सप्‍ताह में एक दिन छुट्‌टी का बनाया। यह इतवार ना हो

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