29 सितम्बर 2015
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नित्या नन्द राय गाजीपुर का रहने वाला हु D
एक लंबी और बेअसर जिंदगी उससे तो अच्छी है छोटी सी जिंदगी।कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ राह पर भागती फिर रही है जिंदगी।
हुई भोर उषा की लालीफैली चहुँ दिशा खुशियालीहरी घास पर तुहिन कणों ने चादर मोतियन की है डाली।
मेरी बातों से सहमत होना आवश्यक नहीं.यदि आपको मेरी बात अच्छी लगी तो मेरी बात मेरी बात न होकर आपकी बात हो गई और मेरी बात अच्छी नहीं लगी तब मेरी बात मेरी बात रह गई
इतवार की मोहक सुबह। लम्बी नींद से अलसाये हुए हमने अंगड़ाई ली तब घड़ी ने नौ बजा दिये थे। खिड़की से आती सुबह की धूप से तन-मन खिल उठा था। इतवारी सुबह से आनन्दित हमने एक-दो-तीन ..................... करके पूरे सात बार शुक्रिया दे डाला उनको, जिन्होंने सप्ताह में एक दिन छुट्टी का बनाया। यह इतवार ना हो