रामलाल जी को सरकारी सेवा करते हुए 29 वर्ष पूरे हो गए।
अभी चार साल की सेवा शेष है ।
रामलाल जी बहुत हँसमुख मेहनती इंसान हैं लेकिन पिछके कुछ दिनों से चिड़चिड़े से हो गए हैं।
बात बात पर नाराज हो जाते हैं,तैयार हुए भोजन को बिना खाए ऑफिस चले जाते हैं।
अपने आपमें ही खोए खोए से रहते हैं।
उनकी पत्नी उनके इस व्यवहार से चिंतित है।
उसने कई बार टोका भी था कि यदि कोई बात है तो बताएं।
स्वास्थ्य खराब है तो डॉक्टर को दिखाएं।
रामलाल जी अपनी पत्नी की बात टाल जाते।
एक दिन उनकी पत्नी दिन में टीवी देख रही थी ।
"50 के बाद का बदलाव "विषय पर चर्चा हो रही थी।
व्यक्ति की आयु बढ़ती है लेकिन वह उसे मन से स्वीकार नहीं कर पाता।
दांत दाढ़ साथ छोड़ने लगते हैं।
आंखे कमजोर हो जाती हैं।
किसी वस्तु में स्वाद नही आता ।
बाल पककर सफेद हो जाते हैं।
चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है।
कम सुनाई देता है।
थोड़ी सी मेहनत से थकान हो जाती है।
कोई न कोई बीमारी साथ लग जाती है।
मधुमेह ,सांस फूलना आम बात हो जाती है ,लेकिन
इंसान मन से अभी भी जवान होता है।
मन कभी बूढ़ा नहीं होता।
मन तेज गति से दौड़ने लगता है लेकिन शरीर साथ नहीं देता।
यह असंतुलन ही मनुष्य के दुःख का कारण बन जाता है।
मनुष्य अपने आपको वृद्ध मानना नहीं चाहता और फिर कुढ़ने लगता है।
वह झुंझलाने लगता है।
रामलाल जी की पत्नी अच्छे से उनकी बात समझ रही थी।
अब वो अपने पति को आसानी से सम्भाल सकती है।