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कहाँ गयीं गौरैया ?

20 सितम्बर 2021

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कहां चली गई गौरैया ? 
अपनी चेहचहाहट से मन मोहक आवाज निकालने वाली गौरैया अब विलुप्त होती दिख रही है। साथियों कुछ वर्षों पूर्व का दृश्य याद करना तो हमारे जीवन मैं गौरैया का वह दृश्य निश्चित ही याद आ जाएगा ग्रामीण क्षेत्रों में चिड़ियों की आवाज वर्षों पूर्व सुनाई देती थी लेकिन वर्तमान में यह प्रजाति नहीं दिखती है। 
गोरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गोरैया का पहचान उसके गले के पास काले धब्बे से होता है। १४ से १६ से.मी. लंबी यह चिड़िया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। यह लगभग हर तरह की जलवायु पसंद करती है पर पहाड़ी स्थानों में यह कम दिखाई देती है। शहरों, कस्बों गाँवों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पाई जाती है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग और गालों पर पर भूरे रंग का होता है। गला चोंच और आँखों पर काला रंग होता है और पैर भूरे होते है। मादा के सिर और गले पर भूरा रंग नहीं होता है। नर गौरैया को चिड़ा और मादा चिड़ी या चिड़िया भी कहते हैं।इंसान के बेहद करीब रहने वाली कई प्रजाति के पक्षी और चिड़िया आज हमारे बीच से गायब है। उसी में एक है 'स्पैरो' यानी नन्ही सी गौरैया। गौरैया हमारी प्रकृति और उसकी सहचरी है। गौरैया की यादें आज भी हमारे जेहन में ताजा हैं। कभी वह नीम के पेड़ के नीचे फूदकती और अम्मा की तरफ से बिखेरे गए चावल या अनाज के दाने को चुगती।

          मलखानसिंह भदौरिया डोंगरपुरा भिंड

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