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कहना तो बहुत कुछ है तुझसे

27 जुलाई 2022

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कहना तो बहुत कुछ
है तुझसे, 

मगर कह कहाँ पाता
हूँ, 

सच है कि जीना है
अब तेरे बग़ैर  

मगर एक पल भी रह नहीं
पाता हूँ, 

बहुतएक कोशिश रोज़
होती है तुझे भुलाने की 

मगर एक पल भी भुला
कहाँ पाता हूँ, 

 देखता तो हूँ ख़्वाब हर रात 

मगर ख़ुद को सुला
नहीं पाता हूँl 

एक समन्दर इन आँखों
में, 

मगर रो लूँ जी भर
ऐसा कहाँ कर पाता हूँ, 

जीना ही मुमकिन कहाँ
था तेरे बग़ैर, 

मगर मज़बूर हूँ, मर
भी नहीं पाता हूँ l 

  

तू अगर देख पाती तो
समझ जाती, कि इस बेबसी को छुपा कहाँ पाता हूँ,  

छलक जाता है दर्द
कभी अल्फाज़ों से भी 

मगर मैं ख़ामोश भी
रह नहीं पाता हूँl 

04-Anand Raj B.A B.Ed. की अन्य किताबें

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रचनाएँ
उस प्यारी सी लड़की के बिन
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प्रिय पाठकों , मैं आनंद राज क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान भुवनेश्वर (NCERT) तृतीय वर्ष स्नातक का विद्यार्थी हूं और आपके समक्ष यह पुस्तक "उस प्यारी सी लड़की के बिन" प्रस्तुत कर रहा हूं। वास्तव में पुस्तक का यह शीर्षक प्रसिद्ध कवि श्री कुमार विश्वास की एक कविता "उस पगली सी लड़की के बिन" से लिया गया है और नामकरण में थोड़ा रूपांतरण किया गया है। कविता लेखन में मेरी रुचि कक्षा अष्टम 2013 में जागृत हुई जब मैं अपनी विद्यालय में पढ़ रही एक लड़की के प्यार में पड़ गया। वो मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखती है। जब आप किसी से बेइंतहां प्यार करते हैं तब आप उन क्षणों को बार-बार याद करते हैं। तकनीक के वजह से आज तो यह सब मुमकिन है लेकिन मैंने सोचा जज़्बातों और क्षणों को लिखना ज़्यादा बेहतर है , इसलिए मैंने उसके लिए लिखना शुरू किया , कविता लिखने का मेरा जुनून इस तरह से शुरू हुआ। बदकिस्मती से वो अब मेरे भाग्य में नहीं है और कुछ दिन पहले ही उसकी शादी किसी और से हो चुकी है। मुझे वजह मालूम तो नहीं लेकिन मेरे पूछने पर उसने आसानी से कह दिया कि "भूल जाओ मुझे जैसे यह सब एक सपना था और ज़िन्दगी में आगे बढ़ो तुम मेरे से बेहतर डिजर्व करते हो।" वो वक़्त मेरे लिए तनाव से भरा था , क्योंकि जब आप किसी को प्यार करते हो और चीज़ें आपकी इच्छाओं के अनुकूल ना हो तो बहुत तकलीफ होती है। तब मैं सोच नहीं पा रहा था कि अब क्या करूं। तब मैंने फैसला किया कि उन यादों और जज़्बातों को शब्दों का रूप दिया जाए और कविता भावनाओं और जज़्बातों को जोड़ने के लिए सर्वोत्तम विधा है। हम इंसान नश्वर हैं और हमारी स्मृतियां भी कभी समाप्त हो जाएंगी लेकिन ये कविताएं अमर हैं। प्रेरणा आज भी मेरी सभी कविताओं के केंद्र में उसी का ज़िक्र होता है मेरी प्रेरणा है वो क्योंकि जब भी मैं नई कविताएं लिखता हूं बस अपनी आंखे बंद करता हूं और महसूस करता हूं मानो वो मेरे सामने बैठी हो और शांत होकर मेरी कविताएं सुन रही हो। संक्षेप में कहूं जब भी मैं कल्पना करता हूं और कविता लिखता हूं मैं नहीं ऊर्जा का अनुभव करता हूं और आनंदित हो उठता हूं। इस किताब की दो पंक्तियां यहां उद्धत करना चाहूंगा :- “मेरे गीतों में जीवित वो अपनी प्रेम कहानी है, जिसमें मैं सागर सा बेबस और तू दरिया सी दीवानी है तुम लफ़्ज़ों से अमर हुई हो और हम गाकर बदनाम हुये, तुमको खोकर जले हैं ऐसे तन मन सब शमशान हुये”। मैंने ये कविता उसकी शादी के तुरंत बाद लिखी थी और तरह से मैंने अपनी पूरी कोशिश की है कि इस पुस्तक में अच्छी कविताओं का संग्रह हो सके। आशा है आप इसको पसंद करेंगे पूरा प्यार और आशीर्वाद देंगे। सादर आनंद राज
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27 जुलाई 2022
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रेल की पटरी की तरह हैं हम दोनों ताकते रहते हैं एक दूसरे को दूर से ही क्या कभी मिल न पाएंगे हम तुम क्या फासले पर ही रह जाएंगे हम तुम लोग रिश्ता निभाते हैं, लोग रस्म निभाते हैं लोग बंधन भी निभाते

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अच्छा लगता है l

27 जुलाई 2022
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तेरा मुस्कुराना, नजर ना मिलाना, मेरा तेरे करीब जाना, तेरा नजर यू झुकाना, अच्छा लगता है l मेरा तेरी गलियों से जाना, तेरा दबे पांव चुपके से मुझे देख जाना, अच्छा लगता है

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ठहर जाओ! घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें।

27 जुलाई 2022
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ठहर जाओ! घड़ी भर और तुमको देख लें आँखें, अभी कुछ देर मेरे कान में गूंजे तुम्हारा स्वर, बहे प्रतिरोम में मेरे सरस उल्लास का निर्झर, बुझे दिल का दिया शायद किरण- खिल उठे जलकर, ठहर जाओ! घड़ी भर और त

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