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कलियुग और राक्षसों की पूजा

22 अक्टूबर 2021

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   यह कलियुग है. कलियुग में धीरे-धीरे धर्म का नाश होता जाता है. लोग धर्म को अधर्म समझने लग जाते हैं और धर्म को अधर्म. नायक को खलनायक समझते हैं और खलनायक को नायक.


   रावण, दुर्योधन, कर्ण, शकुनी आदि का कई लेखक महिमामंडन करते हैं और राम, पांडवों जैसे नायकों का अपमान करते हैं. ऐसा करके वह स्वयं को राक्षस वंशी ही सिद्ध करते हैं.



  हालांकि रामायण महाभारत आदि ग्रंथों में ऐसे लोगों को राक्षसों का दूसरा जन्म घोषित किया गया है.


   कई देशद्रोही गद्दार तत्व सीधे-साधे आदिवासियों को पूर्व के राक्षस सिद्ध करते हैं. ऐसा करके वह अपनी देश विघटनकारी छवि को छिपाने की कोशिश करते हैं. जबकि यह भोले - भाले आदिवासी और कोई नहीं भगवान राम के अनुगमन कर्ता थे और एक तरफ से देव ही थे.
Pragya pandey

Pragya pandey

बहुत सुंदर बात लिखी है आपने 👌

22 अक्टूबर 2021

4
रचनाएँ
आर्य
5.0
यह एक सुंदर पुस्तक है

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