यह अंबर यह बादल यह चमकते तारेजंगल में लगी है आग गगन इसे बुझा रे यह चिड़िया यह चेतक यह कोयल पुकारे इनकी दिल की बातों को दिल से लगा रे शब्दों के बाणों से मेरा लहू न बहा रे सपनों में सांझ को लोट आ रेमधुर और लघु तू गीत सुना रे है सीताराम इस गीत को गुन गुना रे तू मिलने झरने पर नदी के किनारे प्रेम की