■□■धूप छाँव और प्रभु कृपा■□■☆★☆★☆★☆★☆धूप का प्रचण्ड तापदेह जला भी सकती है।भादो मास में धूप दिख आह्लादित करती है।।छाया तले आ पथिक को शितलता मिलती है।छाया पड़ती दुख की तो ये आँखें झड़ती हैं।।प्रभूवर! कई भक्त तुम्हें पाने हेतु लालायित रहते हैं।जप-तप-कीर्तन और सारी रात जागरण करते हैं।।योगी बन 'विहंगमयोग'