गम गर अपने बतलाएँगेअपने हिस्से क्या पाएँगेहै हाला तो राम भरोसेहम साँसों से मर जाएँगेअपने घर मे बिखरे है जोकैसे किसके घर जाएँगेदोनों हाथों जिम्मेदारीकैसे कुंडी खटकाएँगेउलटे उलटे पग पड़ते हैहै मुश्किल तो
■□■धूप छाँव और प्रभु कृपा■□■☆★☆★☆★☆★☆धूप का प्रचण्ड तापदेह जला भी सकती है।भादो मास में धूप दिख आह्लादित करती है।।छाया तले आ पथिक को शितलता मिलती है।छाया पड़ती दुख की तो ये आँखें झड़ती हैं।।प्रभूवर! कई भक्त तुम्हें पाने हेतु लालायित रहते हैं।जप-तप-कीर्तन और सारी रात जागरण करते हैं।।योगी बन 'विहंगमयोग'
🎉🎉🎉 कृष्णावतार"🎉🎉🎉🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण भक्त हर्षित हो मनाते हैं।"कृष्ण लीला" आज हमआप सबको सुनाते हैं।।कारागृह में 'द्वितीय महासंभूति'का अवतरण हुआ।दुष्ट कंस का कहर,साधुसंतों का दमन हुआ।।जमुना पार बासु यशोधा के घर कृष्ण को पहुँचाये।'पालक माँ' को ब्रह्माण्ड मुख गुहा में प्रभु
कोरोना में रक्षाबंधन का स्वरूपकोरोनाकाल में रक्षाबंधन का स्वरूप-चिपका होठों से हलाहल का प्याला हैलुप्त हो रहा आतंकि कोरोना समित हो,पर जाते जाते स्वरूप बदल डाला हैएकलौता भाई- अटका उदास सात समुन्दर पार-आंसुओं में सारा जग डूबा हैरक्षाबंधन आ हर्षाया हर बार--भाई-बहन का मिलन होता सबसे प्यारा हैजय हो! जय
मानव रे चेतलोग-बाग तुझे- पत्थरों में तराश मंदीरों में बैठाते हैं!'सुनहरी फ्रेम' में तुझे जड़वा, दम तेरा घुटवाते हैं!!अष्टधातु-सोने की मूर्ति बनवा, "ताला" लटकाते हैं!कैलेन्डर-किताबों में छपवा दीवारों पर टाँग देते हैं!!गर्मी के मौसम में- भक्त चादरों तले तुझे दबाते हैं!दम घुटता प्रभु का- धुँआ कुण्ड स
🌿🌿🌿ऋतु गान🌿🌿🌿🌾🌱🌲🌳🌴🌳🌲🌱🌾उमस भरी ग्रीष्मकालिन-उष्णतावातानुकूलित का आमंत्रण लाती है🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀बर्षा की टगर होठों पर टपकती बुँदों मेंमानो सावन के गीत सजनी गाती है🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺गीत शदर ऋतु की चाँदनी रात मेंअत्यंत प्रिय-आह्लादित कर देते हैं🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷शिशिर ऋतु अगन को आम
🔥🔥 बेबात जलन 🔥🔥ब्याह किये मुझसे,माँ-बाप के संग बैठ समय-जाया करते हो!माना आँचल पाया माँ का,मुझको अवहेलित तुम करते हो!!पिता ने पढ़ा-लिखा जॉब दिलाया,माँ को सैलरी भी देते हो!मेरी भी कुछ हैं जरुरते,मायके भी जाने नहीं मुझे देते हो!!माँ ने खीर जली बना लाई,चाट कर- कटोरी साफ करते हो!मैंने रोटी चुपड़ दाल सं
⚔️🏹⚔️🏹⚔️🏹⚔️🏹⚔️कुरुक्षेत्र में एक मेधावी तरुण अश्व पर आयामहाभारत के प्रथम दिवस का छाया सायाबालक वह भीम- हिडम्बा पुत्र,धटोत्कच पुत्र थाबरबरिक बालक की परिक्षा लेना पुर्वनिश्चित थावृक्ष तले खड़े हो कर कृष्ण बालक से बोलेबाण से वृक्ष के पत्ते बींधदो योद्धा हम बोलेंछलिया कृष्ण टूटे पत्ते को पैरों तले द
"कोरोना महामाया"कोई बोला- आर. एन. ए. युक्त भाइरस यह कोभिड- 19 हैकोई डी. एन. ए. भाइरस कह-लैब अनेक चमका दियाअभी प्रोटीन का तो कभीलाइपिड आवरण पहना दियाकभी बिषाक्त कणवसा आवृत कह कर भरमा दियाभाइरस को बैक्टेरिया कहा-डब्ल्यू. एच. ओ. गरमा गयाकल्चर न कर पाया मगरजाँच से पोजिटिभ बतला दियादवा नहीं उपलब्ध परन्त
🌹🌹🌹🌺मध्य रात्रि 🌺🌹🌹🌹 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺प्रचण्ड एषणा हृदय में, मन मैंने बनाया है।एक विराट शुभ विचार मन में समाहृत है।।भव्य स्वर्णिम मण्डप स्वप्न में हटात् आ दिखता है।विशाल स्तंभ केन्द्र में- बहुआयामिय आलोकित है।।भिन्न-भिन्न अद्भुत आकृतियाँ यत्र-तत्र दृष्टिगोचर हैं।।सदाशिव महादेव-त्रिनेत
✳️🌺🌹।।🕉️।।🌹🌺✳️कोरोना महासंक्रमण से राष्ट्रसीमाओं और टिड्डी दल तक!रुष्ट प्रकृति, तमसा छाई-आहत शोणित गृहि-साधु तक!!सनातन से विमुख हुए सभी-तमसा छाई है क्षितिज तक!चहुदिशी ताण्डव नृत्य महाकाल का-शनि-दृष्टि हुई वक्र!!🙏🏻 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏🏻
🍁🍁।।दर्प।।🍁🍁आँखों के आगे अँधेराकिस पल कब छा जाएकुछ अपना कोई कहे पर सुन कुछ नहीं पाएहाथ पैर एवम् इंद्रियां कबअवसान- लोथ बन जाएस्मृतियों का ग्रंथागारपतंग बन भांतिउड़ गगन पार जाएअर्जित सिद्धियाँ हटात्निरस्त हो शक्तिहीन करउदास बनाएआज है सम्राट तो कहींकल भिक्षाटन् परनिकल न जाएदर्प कहाँ से आया जिवन में
❓❓नारी प्रतारण❓❓दूध का कर्ज चुकाने वालों कोइतिहास के पन्नों में लिखा देखा हैपित्रिभक्त दैत्यगुरु परशुराम को- 'मातृहंता' होते भी देखा हैभुमिगत् होती सीता कोमर्यादा पुरुषोत्तम तक ने देखा हैभयाक्रांत बहन सुभद्रा पाषाण बनी, सहोदरा-मेला भी देखा हैभारत माँ की बेटियों को देश हेतु विधवा बनते युगों से देखा ह
"परिवर्तन"लाख मुखौटा तुम,रकम-रकम काचाहे बदल डालोमुद्दतों से रूठी तक़दीर,चाहे फुसला मना डालोपत्थर को चूर-चूर करधूल के पहाड़ बना डालोबची-खुची मानवता,भस्म कर राख़ बना डालोज़िन्नात - हैवान बन,समंदर में आग़ लगा डालोमयपन के गुरूर से,रुहानी दौलत जुदा कर,जमीन को कंकालों से पटा डालोकोभिड मुँह बाये सामने खड़ा हैंत्
"कहानी हमारे देश की"🌺महाराणा प्रताप के नाम,🌺 "इण्डिया रिजर्व बटालियन"ताजमहल अगर प्रेम की कहानी है!चित्तोड़ एक सूरमा की कहानी है!!मुगल चढ़े चित्तोड़ ६०००० सैलानी ले कर!मात न खाए मात्र थे ८००० शत्रुओं से टकरा कर!!चालीस हजार के उपरलाशों का ढ़ेर वीर बिछाया!राणा का वीजय ध्वज "गुंबज" पर ऊंचा लहराया!!व
★★★★कोरोना★★★★"आंकड़े" देख शोहबत को'नजायज' करार दी"क्वारेंटाइन" के बाद हीं आना घर!ये आस दीदिल है कि सात समन्दर पाररह कर भी प्यार बरकरार है'मोबाइल' में तश्वीर देख-आँसुओं की बह रही धार हैप्यार को महज़ जिस्मानी रिस्ता कहा!यह रुहानी बात हैकोरोना की सुन्दरता जरा देख लेना,लाल! क्या? बात हैडॉक्टर कवि कुम
कथा गणपति बप्पा मोरिया की🕉️ 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️गणपति-बप्पा-मोरिया की प्रतिमायें सुशोभित हैं।गणेश कथा सुन, भक्त आह्लादित प्रफुल्लित हैं।।आएं आज- 'पंद्रह हजार वर्ष' पुर्व हम चलते हैं।पर्वतों पर बसे ऋषियों की चर्चा आज करते हैं।।"ऋषि कुल" को ऋग्वेद में "गोष्ठी" कहा करते थे।'"गोष्ठी" के श्रेष्टतम्
।।🙏परशुराम🙏।।कन्नौज-सम्राट गाधि की थीअत्यंत रूपवती सुकन्या!सत्यवती भृगुनन्दन ऋषीकके जीवन से बंध रमना!!भृगु ऋषि से पुत्रवधू नेपुत्र प्राप्ति का किया प्रणय निवेदनतथास्तु! कह भृगु मार्ग बताएगूलर-वृक्ष का आलिंगन करचरु-पान से गर्भ वह पाएपात्र माँ ने लोभवशछल से पात्र बदलाब्राह्मण पुत्र 'जमदग्नि'क्षत्रिय
कोरोना ऐसे कई कहरहमने झेले हैं।लौक डाउन कर इसेहम खदेड़े हैं।।सुना-पढ़ा है प्लेग नेलाखों को खाया है।लाल आंख लिएबगंला देश भी छाया है।।जापानी जेएन-यू एस से एचएन आया है।पीएफ हजारों बच्चे-जवानोंको खाया है।।अब हम जब वतन के एक हो गये हैं।कोभिड १९ को सीमाओं पर घेर रहे हैं।।लाइलाज हो मगर क्वारेंटाइन काफी है।
👹कोरोना का कहर👹अनैश्वरवाद औरपूंजिवाद निगलविलुप्त हो जाएगा।तामसिक और राजसिकआहार-विचार- व्यवहारधरा धाम से उठ जाएगा।।ताण्डव नर्तन कीमुद्रा में थिरक रहेशिव के पैरों तलेकुचला रे जाएगा।नैतिकवादी विश्व के होंगे एक"सद् विप्र समाज"स्थापित हो जाएगा।।"विश्व बँधुत्व"कायम होगाजाति-सीमा का पृथकतावादमिट जाएगा।