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के.एस. राही के बारे में

प्रिय मित्रों मैं नवाबों के शहर लखनऊ के पास स्थित हरदोई जनपद से हूँ । अपना प्यार बनाये रखने के लिए आप सब को बहुत बहुत धन्यवाद

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के.एस. राही की पुस्तकें

स्वप्न से आगे

स्वप्न से आगे

मुहब्बतों का ये मंजर भी गुज़रना चहिये था मेरी आँखों से समंदर भी उतरना चाहिये था मेरी खामोशी को मेरी हार मत समझे ये दुनिया मेरी गर्दिश के सितारे को उभरना चाहिये था जिस गली से वो थे गुज़रे फूल मुरझा ही गये उनको अपना दुपट्टा सर से ढकना चाहिए था

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स्वप्न से आगे

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मुहब्बतों का ये मंजर भी गुज़रना चहिये था मेरी आँखों से समंदर भी उतरना चाहिये था मेरी खामोशी को मेरी हार मत समझे ये दुनिया मेरी गर्दिश के सितारे को उभरना चाहिये था जिस गली से वो थे गुज़रे फूल मुरझा ही गये उनको अपना दुपट्टा सर से ढकना चाहिए था

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