15 मार्च 2018
जिंदगी बिछड़ी हो तुम तन्हा मुझको छोड़ कर आज मैं बेबस खड़ा हूँ, खुदखुशी के मोड़ पर || जुगनुओं तुम चले आओ, चाहें जहाँ कही भी हो शायद कोई रास्ता