ज़िन्दगी का क्या, ज़िंदगीभर साथ नहीं देती,
ख्वाहिशों का क्या, ख़त्म भी तो नहीं होती,
जख्म हो तो मरहम भी मिल जाता है;
दवा की जरुरत किसे है दुवा हो बस जो ख़त्म नहीं होती।
15 जनवरी 2018
ज़िन्दगी का क्या, ज़िंदगीभर साथ नहीं देती,
ख्वाहिशों का क्या, ख़त्म भी तो नहीं होती,
जख्म हो तो मरहम भी मिल जाता है;
दवा की जरुरत किसे है दुवा हो बस जो ख़त्म नहीं होती।