shabd-logo

ख्वाहिशें

15 जनवरी 2018

121 बार देखा गया 121

ज़िन्दगी का क्या, ज़िंदगीभर साथ नहीं देती,
ख्वाहिशों का क्या, ख़त्म भी तो नहीं होती,
जख्म हो तो मरहम भी मिल जाता है;
दवा की जरुरत किसे है दुवा हो बस जो ख़त्म नहीं होती।

Tejaswita Khidake: ख्वाहिश
1

मैंने अपनी मौत चुन ली है।

13 जनवरी 2018
0
3
0

उसने अपनी ज़िन्दगी चुन ली है,मैंने अपनी मौत चुन ली है। उसने अपनी राह चुन ली है,मैं अपने मक़ाम पे पोहच चूका हु।उसने अपने सपने छुपा रखे है,मै अपने सपने जी चूका हु।ए हवा ज़रा अपना रुख़ मोड़ना,उस गली में जाके मेरा पैग़ाम देके आना,उसको मेरा अलविदा कहना,मैं अपनी मंज़िल तक पोहच चुक

2

ख्वाहिशें

15 जनवरी 2018
0
1
0

ज़िन्दगी का क्या, ज़िंदगीभर साथ नहीं देती,ख्वाहिशों का क्या, ख़त्म भी तो नहीं होती,जख्म हो तो मरहम भी मिल जाता है;दवा की जरुरत किसे है दुवा हो बस जो ख़त्म नहीं होती। Tejaswita Khidake: ख्वाहिश

3

Tejaswita Khidake: your life your choice

15 जनवरी 2018
0
0
0

Women, I feel sorry for most of them who didn't even realized their strengths and reason behind their existence. sometimes I get confused while thinking about them, that how can I help them who don't know tha

4

Tejaswita Khidake: अभी अभी अंदाज़ा लगा है ख़ुद की ताकत का,

15 जनवरी 2018
0
1
0

अभी अभी अंदाज़ा लगा है ख़ुद की ताकत का,अभी अभी अंदाज़ा लगा है ख़ुद की ताकत का,सुना है, जो कभी बेरहमी से हमें पीटा करतें थे,उनके दिलों में आजकल ख़ौफ़ रहता हैं।जो झूठा पहनावा पहन के घूम रहे हो,क्या कहते हो, उतार दु ?राज़ हैं जो छुपाये मैंने, राज़ हैं

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए