चिंता माता पिता की ,
एक समय था जब लोग कहते थे,लड़किया पढ़ नही सकती ,लड़किया लड़को के बराबरी नही कर सकती ।लड़किया बोझ होती है,लड़किया बाहर नही निकल सकती। लेकिन ये सब गुजरे जमाने की बातें हो गयी। आज जमाना और समय दोनो तेजी से बदल रहा है।आज लड़किया पढ़ रही है और पढा भी रही है।और भी बाकी के छेत्रो में भी अपनी हुनर का परचम लहरा रही