किन्नर नहीं दीदीहूँ।पो... सरपट रेल चलीछुक-छुक पो... चटाक पटाक ताली बजातीदीदी आई|अरे वो जीजा शाली को ध्यानदो,चुलबुला लड़का बोला किन्नर तोलगती नहीं हो| अरे बेटा किन्नर को छोड़ बुआहूँ तेरी,सामने बैठे युवक का नोच गालक्या सोच रहा हैं?दे-दे दस पाँच रुपया तेरा भलाहोगा, सफर सुहाना होगा| घर जाते ही बी॰बी बच
अर्द्ध कुम्भ के अवसर पर प्रयाग राज में किन्नर अखाड़े का शाही स्नान डॉ शोभा भारद्वाज प्रसिद्ध समाज सेवी आध्यात्मिक गुरु अजय दास ने किन्नरों को अपने आश्रम में स्थान देकरकिन्नर अखाड़ा बनाया ऋषिवर कई वर्षों से किन्नरों के कल्याण एवं उनकी दशा सुधारनेके लिए प्रयत्न शील थे | क