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जानू नागर के बारे में

मै जानू नागर लिखने की कोशिश करता हूँ। कई बुकों व पत्रिकाओ मे लिखा हैं। मै लिखता इस वजह से हूँ कि आम जनता की आवाज के साथ अपनी अभिब्यक्ति को उन्ही के बीच लिखित मे रख सकू।

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जानू नागर की पुस्तकें

जानू नागर के लेख

मन से

26 नवम्बर 2023
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नित नंदन, घिस चंदन, माथे तिलक लगाओं। हो घर आंगन बड़ा, ता पें, तुलसी वृक्ष लगाओ। मन मंदिर जे बसे, ह्रदय ताकि अलख जलाओं। कर मात पिता सेवा जग में, उनका नाम बढ़ाओ। कर स्नान हर की पौड़ी में, दर्शन मनसा

शहर हमने बनाया है।

22 अक्टूबर 2023
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शहर हमने बनाया है। कमआमदनी में जीना चना के हरे साग की तरह है। उसके खेत में उगने के साथ खोटने से लेकर हल्का बड़े होने पर उसे काट कर जानवरो को खिलाना,बड़े में खेत से उखाड़ कर। खलियान में बैलो से रौंदई

आसमा के आने से जाने तक।

13 अगस्त 2023
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आसमा के आने से जाने तक। मां की आंखो में उसका चेहरा, काम से घर लौटे कदमों की आहट कानों में समा रहे थे।   वह काम से नही लौटी, यह खबर पूरे पड़ोस में फैल गई। पड़ोस में अफरा तफरी, हम उम्र लड़कियों

रात गुजर गई लोरी में,

11 अगस्त 2023
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रात गुजर गई लोरी में, रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है। तेरे फन के गुलाम हम, उसे बताना अभी बाकी है। करवटों से सिकुड़ी चादर को, झाड़ना अभी बाकी है। बिखरी हुई जुल्फों को, कंघे से सुलझाना अभ

नारी हारी नही।

2 अगस्त 2023
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नारी हारी नहीं। हर नारी का सम्मान करना सीखे। इंसानियत के मरहम को जाने। नारी को जननी कहा जाता हैं। उस जननी का भी तो ख्याल रखे। जिसने जन्म देकर मात्रभूमि का अंग बनाया, उसी मात्रभूमि मे जननी के साथ एक घ

कहूं तो क्या कहूं।

24 जुलाई 2023
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कहूं तो क्या कहूं। बात कहूं या कहूं गज़ल। सोच कहूं या शायरी, समझ कहूं या कहूं कहानी। जीवन कहूं या दुनियादारी, जाति कहूं या धर्म कहूं। राजनीति कहूं या रंगदारी, भाई कहूं या कहूं बहन। जग कहूं या

न भटको अपने नेक इरादों से ।

28 फरवरी 2022
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न भटको अपने नेक इरादों से । माला जपू श्याम की, राम की, धनश्याम की, जग मे फैला हैं उजियारा तेरे ही नाम का। जप-जप कर जीता हैं जग सारा। बनता हैं तूही सहारा जग के बेसहारों का, माला जपू श्याम की राम की

उधर भी है क्या?

17 फरवरी 2022
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उधर भी है क्या? राह में चलने वाला हर मुसाफ़िर, हम रही नही होता। कातिल, लूटरे, जालसाज, चालबाज, बहुरुपिए भी है। ये जो तड़प है, रुसवाई-बेचैनी इधर है, उधर भी है क्या? ये जो नींदों के ख़्वाब अधूरे से है,

आवाज वादियों में रहेंगी।

16 फरवरी 2022
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आवाज वादियों में रहेंगी। हर लम्हा बहुत गम्भीर हो जाता है। वह अस्पताल के रास्ते स्वर्ग जाता है। गीत, संगीत से मन ओतप्रोत करते हुए। आँख, दिल को द्रवित करने वाले शब्द। रोमांस, गम में डुबोने वाली हर आवाज

घड़ी इम्तिहान की।

15 फरवरी 2022
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घड़ी इम्तिहान की। पेपर देने गए विद्यार्थी कहते है। वापस लौटे तो पेपर हथ में, पड़ोसी ने पूछा कॉपी दे आए। स्टूडेंट सोचने मे मजबूर हो गया। देने कॉपी जाते हैं, लेने पेपर, कहते हैं हम पेपर देने जा रहे हैं।

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