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किवाड़ खा गई

25 दिसम्बर 2022

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सबूत भी गवाह भी

किवाड़ खा गई,

जालिम ये दीमक सारी,  

मक्कार खा गई।

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हराम की थी  रातें, 

छिपी सी मुलाकातें ,

किसने खिलाये क्या गुल,

गुमनाम सारी बातें।

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आस्तीन में छुपे हुए, 

गद्दार खा गई ,

जालिम ये दीमक सारी, 

मक्कार खा गई।

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जिस रोड के थे चर्चे , 

जिस पर हुए थे खर्चे ,

लायें कहाँ से उसको , 

लिख लिख भरे थे पर्चे।

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कि झूठ पर फले सब , 

रोजगार खा गई,

जालिम ये दीमक सारी,  

मक्कार खा गई।

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फाइल में बन पड़ी थी , 

चौपाल की जो बातें,

ना ब्रिज वो दिखती है , 

बस नाम की हीं बातें।

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दफ्तर के  काले चिट्ठे ,

कारोबार खा गई,

जालिम ये दीमक सारी,  

मक्कार खा गई।

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अजय अमिताभ सुमन

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खबर हादसे की
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खबर का मुख्य उद्देश्य समाज में विश्वास , आस्था और भाईचारे की नींव को मजबूत करना होता है ना रोष , नफरत और दहशत की अग्नि को फैलाना । परंतु क्या वर्तमान समय में पत्रकारिता के संदर्भ यही बात कही जा सकती है ?

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