चेन्नई टेस्ट के चौथे दिन जश्न के साथ एक शंका भी थी. नौजवान बल्लेबाज़ को मौका देने के चक्कर में विराट कोहली ने पारी घोषित करने में कहीं देर तो नहीं कर दी. लेकिन पांचवें दिन रवींद्र जडेजा की अगुवाई में भारतीय गेंदबाज़ों ने इन सवालों के जवाब में एक पारी और 75 रनों की विशाल जीत दी. साथ ही टेस्ट सिरीज़ ऐतिहासिक 4-0 के अंतर से भारत के नाम हो गई. ये वक़्त ही कुछ ऐसा चल रहा है कि विराट कोहली का हर फ़ैसला सही साबित हो रहा है. कोहली (Kohali) तेज़ी से भारत के सबसे सफ़ल कप्तान की सीढ़ी चढ़ने में हर घड़ी रिकॉर्ड बदल रहे हैं. कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने अब तक 22 मुक़ाबले खेल े हैं, जिनमें से 14 में जीत दर्ज की. छह टेस्ट ड्रॉ रहे, जबकि दो में हार का सामना करना पड़ा.
सबसे ज्यादा टेस्ट जीत दिलाने वाले कप्तानों में वो तीसरे पायदान पर आ गए हैं. उनकी कप्तानी में जीत का प्रतिशत 63.63 फ़ीसदी है, जो टेस्ट में 27 जीत दिलाकर सबसे ऊपर मौजूद महेंद्र सिंह धोनी (45 फ़ीसदी ) से भी बेहतर है. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ शानदार सिरीज़ जीत में भी कोहली के बल्ले का ख़ास योगदान रहा. पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ में कोहली ने आठ पारियां खेली और 109.16 की औसत से 655 रन बनाए.
टेस्ट में छाते जा रहे हैं
कोहली ने 53 टेस्ट में 50.10 की औसत से 4209 रन बनाए हैं. पांच साल के छोटे टेस्ट करियर में वो 15 शतक और 14 अर्द्धशतक जड़ चुके हैं.इसमें भी बतौर कप्तान उन्होंने 22 मैचों में 63.96 की औसत से 2111 रन बनाए हैं. जबकि कप्तान बनने से पहले उन्होंने 31 मैचों में 41.13 की औसत से 2098 रन बनाए थे.
धुरंधर टीमों को धोने में माहिर
सबसे ज्यादा उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैण्ड को धोया है. कोहली के बल्ले से अब तक निकले 15 शतकों में से छह कंगारुओं के और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ कोहली ने तीन शतक लगाए हैं. उन्होंने नौ शतक विदेश में लगाए हैं, जबकि छह भारत में जड़े हैं. साल 2016 में उन्होंने 12 मैचों में 75.93 की औसत से 1215 रन ठोंके हैं. टीम इंडिया अगर इस साल कोई टेस्ट ना हारने का बेहतरीन रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रही, तो इसके पीछे कोहली का बल्ला और कप्तानी, दोनों का अहम रोल है.