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कोई नंगा तन न देखा जाएगा(ग़ज़ल)

15 मई 2020

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कोई नंगा तन न देखा जाएगा

और द्रवित मन न देखा जाएगा


गूंजती हैं कानो में किलकारियां

सूना सा आँगन न देखा जाएगा


होटलों में चाय कॉफी शॉप पर

चीखता बचपन न देखा जाएगा


उम्र से पहले जो बूढ़े हो गए

उनसे अब यौवन न देखा जाएगा


रोज़ दिल की वेदना में डूबती

आँखों का अनशन न देखा जाएगा

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