कुछ नया सा कहीं हुआ तो है
सिलसिला मोहब्बत का फिर चला तो है I
कोई खिड़की खुली हुई थी कहीं
चाँद हल्का सा फिर दिखा तो है I
कुछ उजाले दिलों में बाकी थे
कोई साया अभी हिला तो है I
बहारें लौट आयीं हैं दोबारा
फूल फिर बाग में खिला तो है I