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“कुंडलिया”पकड़ो

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“कुंडलिया”पकड़ो साथी हाथ यह हाथ-हाथ का साथ। उम्मीदों की है प्रभा निकले सूरज नाथ।।निकले सूरज नाथ कट गई घोर निराशा। हुई गुफा आबाद जिलाए थी मन आशा॥ कह गौतम कविराय कुदरती महिमा जकड़ो। प्रभु के हाथ हजार मुरारी के पग पकड़ो॥-१बारिश में छाता लिए डगर सुंदरी एक। रिमझिम पवन फुहार नभ पथ

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