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Achakradhar

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हिंदी के हरफ़नमौला फ़नकार एवं विद्वान-कवि-लेखक डॉ अशोक चक्रधर के जीवन के कुछ प्रसंग एवं उनकी चर्चित रचनाएं... 

achakradhar

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पुस्तक के भाग

1

ए जी सुनिए का कवर-चित्र

8 फरवरी 2016
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ए जी सुनिए की एक रचना

8 फरवरी 2016
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पोपला बच्चाबच्चा देखता हैकि मां उसकोहंसाने कीकोशिश कर रही है।भरपूर कर रही है,पुरज़ोर कर रहीहै,गुलगुली बदन मेंहर ओर कर रही है। मां की नादानी कोग़ौर से देखता हैबच्चा,फिर कृपापूर्वकअचानक...अपने पोपले मुंहसेफट से हंस देताहै।सोचता हैख़ूब फंसीमां भी मुझमेंख़ूब फंसी,फिर दिशाओं मेंगूंजती हैफेनिल हंसी।मां की

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जंगल गाथा

8 फरवरी 2016
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1.एक नन्हा मेमनाऔर उसकी माँ बकरी,जा रहे थे जंगलमेंराह थी संकरी।अचानक सामने से आगया एक शेर,लेकिन अब तोहो चुकी थी बहुतदेर।भागने का नहीं थाकोई भी रास्ता,बकरी और मेमने कीहालत खस्ता।उधर शेर के कदमधरती नापें,इधर ये दोनोंथर-थर कापें।अब तो शेर आ गयाएकदम सामने,बकरी लगीजैसे-जैसेबच्चे को थामने।छिटककर बोला बकरी

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ससुर जी उवाच

8 फरवरी 2016
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डरते झिझकतेसहमते सकुचातेहम अपने होनेवालेससुर जी के पासआए,बहुत कुछ कहनाचाहते थेपर कुछ बोल ही नहीं पाए। वे धीरज बँधातेहुए बोले-बोलो!अरे, मुँह तो खोलो। हमने कहा-जी. . . जी जी ऐसा है वे बोले-कैसा है? हमने कहा-जी. . .जी ह़महम आपकी लड़की काहाथ माँगने आएहैं। वे बोलेअच्छा!हाथ माँगने आएहैं!मुझे उम्मीद नहींथी

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कर सके तो इतना कर दे

8 फरवरी 2016
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दो हज़ार सोलहकर सके तो इतना कर दे,ये जो खाइयां-सी खुद गई हैं न दिलों मेंनफ़रत और पराएपन की, इन्हें भर देऔर दे सके तोशासकों में इसके लिए फ़िकर दे,और फ़िकर भी जमकर देभ्रष्टाचारियों को डर दे,और डर भी भयंकर दे।संप्रदायवादियों को टक्कर दे,और टक्कर भी खुलकर देबेघरबारों को घर दे,और घरों में जगर-मगर देज़रूर

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी, हास्य-व्यंग्यकार एवं हरफ़नमौला रचनाकार : डॉ० अशोक चक्रधर

8 फरवरी 2016
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टेलीफ़िल्म-धारावाहिक-वृतचित्रलेखक-निर्देशक, नाटककर्मी, अभिनेता, फिल्म निर्माता, मीडियाकर्मी, कवि, लेखकएवं उत्कृष्ट हास्य-व्यंग्यकार इतने सारे बहुआयामी गुणों वाले मूर्धन्य साहित्कारएवं विद्वान का नाम है डॉ॰ अशोक चक्रधर| अशोक चक्रधर जी का जन्म ८ फ़रवरी, सन १९५१ में बुलंदशहर जिले के प्रसिद्ध खु्र्जा शह

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