‘संकीर्ण सोच हमें सदैव दुःखी बनाती है इसीलिए सदैव विस्तृत सोच रखनी चाहिए। कभी किसी से तुलना न करें तुलना से ईर्ष्या पनपती है और दुःख पास आ जाता है। सदैव रबर बनकर गलत को मिटाने का प्रयास करेंगे तो दुःख पास फटकेगा नहीं। दुःख से जो सीखता है वो फिर दुःखी नहीं होता है। मन सच्चा और साफ हो तो नित्य सुख ही होता है।’- ज्ञानेश्वर