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myhindisahitya

डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'

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हिन्दी साहित्य की चर्चा करेंगे!  

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पुस्तक के भाग

1

मेरा पहला प्रेम पत्र

20 जून 2016
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     कालचक्र को कौन रोक सका है, वह तो अपनी नियत गति से गतिमान है। कई बसन्‍त बीत चुके हैं। अपनी मधुर स्‍मृतियों के झरोखे में से उस पार देखूं तो लगता है अभी कल की ही बात है। बात उन दिनों की है कि जब मैंने शिक्षा के रूप में एम.ए. हिन्‍दी के बाद पीएच. डी. तक शिक्षा पायी थी। मेरी उच्‍च शिक्षा पूर्ण होते

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योग दिवस

21 जून 2016
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  आज योग दिवस है। आज चहुं ओर योग की चर्चा है। किन्तु मेरा मानना है यह एक दिन की चर्चा या सप्ताह भर की चर्चा बनकर ही रह जाएगी। योगा वस्त्र व पोज में सभी चित्र खिंचवा रहे हैं और धड़धड़ा नेट पर प्रसारित कर  रहे हैं या किसी भी प्रकार से चर्चा में आने का  प्रयास कर रहे हैं, मानों ये  सभी योग  के दीवाने ह

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दांतों से सौन्दर्य कई गुना बढ़ जाता है!

24 जून 2016
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    दांत व्यक्ति के सौंदर्य के चार चांद लगाते हैं। मुस्कान की शोभा बढ़ा देते हैं दांत। दांत सुंदर, सफेद, मोतियों की तरह पंक्तिबद्ध हों तो वे व्यक्तित्व में आकर्षण उत्पन्न करते हैं। खाने के लिए दांतों की भूमिका सर्वविदित है। दांत जीवन भर साथ दें, इसके लिए प्रतिदिन दांतों की सुबह और  रात्रि को सोने से

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सच्चा धर्म क्या है?

26 जून 2016
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     ध्‍ार्म शब्‍द धृत धातु से बना है जिससे तात्‍पर्य है कि धारण करना। नित्‍य अच्‍छा स्‍वाध्‍याय करेंगे यह संकल्‍प लेकर उस नियम का पालन करेंगे तो यह भी धार्मिक होना है। दूजों की सहायता का संकल्‍प लेकर धारण कर लेंगे अौर उस पर चल पड़ेंगे तो यह सहायता करने का धर्म भी आपका हो जाएगा। इस प्रकार आप कितने भ

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मन की बात

26 जून 2016
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     मन की गति बहुत तेज है। पलक झपकते इधर-उधर घूम आता है। कभी इधर जाता है तो कभी किधर जाता है। मन की गति पर लगाम लगाना ही मन को एकाग्र करना है। जो लगाम लगा लेते हैं वे ही कुछ हटकर करते हैं, बाकी सब तो लकीर के फकीर हैं उनका काम रोज की दिनचर्या पूरा करके सो जाना है और अगले दिन नित्य कर्म से निपटकर पुन

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बच्चे आत्महत्या क्यों करते हैं!

26 जून 2016
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    आत्महत्या करना कायरता है अब चाहे किसी भी तनाव में हो पर जीवन की जंग तो हार ही गए। इस प्रकार का कायरता पूर्ण कार्य किसी को भी नहीं करना चाहिए। संघर्ष के बाद सफलता है और  रात के बाद दिन है। यह प्रकृति का नियम है जिससे  सृष्टि चल रही है। सुख और दुःख तो आते  जाते रहते हैं।  माता-पिता चाहें तो  अपने 

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शब्दनगरी पर शतक

29 जून 2016
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शब्दनगरी द्वारा बढ़ाए गए उत्साह और सहयोग के कारण  ही 25 मई 2016 से 29जून 2016 के मध्य 100 रचनाओं का शतक पूर्ण हुआ। शब्दनगरी  के  सभी  सदस्यों एवं मित्रों के सहयोग व प्यार ने ही  इसे पूर्ण करने की प्रेरणा दी। शब्दनगरी के सभी सदस्यों एवं मित्रों का बहुत बहुत धन्यवाद। आप सबके प्यार के कारण ही ऐसा हुआ। 

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अपना अपना विश्वास

4 जुलाई 2016
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एक बार की बात है कि सभी ग्रामवासियों ने यह निर्णय लिया कि वर्षा के लिए प्रार्थना करेंगे। प्रार्थना के दिन सभी ग्रामवासी पूजास्थल पर एकत्र हुए। उनमें से एक बालक छाता लेकर उपस्थित हुआ।एक वर्ष के बच्चे की भावना का उदाहरण इससे अच्छा नहीं हो सकता है कि जब उसे गोद मे उठाकर हवा में उछालते हैं तो वह हंसता ह

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विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं

14 सितम्बर 2016
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विश्व हिन्दी दिवस पर शब्दनगरी के सभी मित्रों एवं सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएंहमारी मातृभाषा हिन्दी के लिए चार पंक्तियांभाव सुमन बिखराती जातीसबके मन को खूब लुभाती हमारी प्यारी सबकी हिन्दी भाल पर बने गर्वीली बिन्दी

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विश्‍व प्रसिद्ध सरधना चर्च

6 जनवरी 2017
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मेरठ में विगत पांच दशक से रह रहा हूं पर सरधना का विश्‍व प्रसिद्ध चर्च देखने का अवसर प्राप्‍त नहीं हुआ। सन् 2016 के अन्तिम दिन 31 दिसम्‍बर को पत्‍नी सहित इसे देखने का कार्यक्रम बना तो इसे देखने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ। ... अधिक जानकारी व ज्ञानवर्धन के लिए अधोलिखित लिंक पर

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चमत्‍कार : सत्‍य या असत्‍य

12 जनवरी 2017
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चमत्कार क्या है? बुद्धि जिसको समझ न पाए वही तो चमत्कार है। जो एक को नहीं समझ आता...आगे पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें... JYOTISH NIKETAN: चमत्‍कार : सत्‍य या असत्‍य

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माता

26 जनवरी 2017
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हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्‍पूर्णता सहित अभिव्‍यक्‍त किया जाता है। इस वीडियो में माता के विषय में कुछ हिन्‍दी हाइकु दे रहे हैं। विश्‍वास हैं अवश्‍य पसन्‍द आएंगे। पसन्‍द आने पर लाईक, कमन्‍ट, शेयर व सब्‍सक्राईब करें। धन्‍यवाद ! Maat

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विक्रम संवत् २०७४ की हार्दिक शुभकामनाएं

28 मार्च 2017
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नव विक्रम संवत् २०७४ आपके जीवन में सुख समृद्धि लाए, नए अवसर लाए, जीवन को सुख की सुगन्‍ध से महकाए। जय श्री राम जय माता की...। विक्रम संवत् २०७४ की हार्दिक शुभकामनाएं (vikram sanvat 2074 kee shubhakaamanaaen) - YouTube

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बातें कुछ अनकही सी...........: मैं चिराग हूँ बुझता हुआ ही सही,मगर याद रहे

2 अगस्त 2017
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मैं चिराग हूँ बुझता हुआ ही सही,मगर याद रहे तुम्हारे दिल-e-मकान को रौशन,हमने ही किया था। ये किसी और से तिश्नगी जायज़ है तुम्हारी,मगर याद रहे मोहब्बत से रूबरू हमने ही किया था। चली जाओ किसी गैर की बाहों में गम नहीं, मगर याद रहे तेरे दिल की आवाज़ को धड़कन,हमने ही दिया था। तुम आज

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बातें कुछ अनकही सी...........: मैं चुप था क्योंकि मैं लाचार था

11 अक्टूबर 2017
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मैं चुप था क्योंकि मैं लाचार था वो भौंक रहा था क्योंकि हाँथों में तलवार था आज समय बदल गया हमारा तो क्या कहें वो जो हमें अय्यार कह रहा है ना,कभी हमारा ही यार था।ज़िन्दगी को यूँ फुसला-फुसला कर चलाया थाउन्हें तरस भी न आई जो धूं-धूं कर बस्ती को जलाया था पता है बड़े सुकून से रहत

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मेरे मन की

11 जुलाई 2018
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नमस्कार मित्रो,मेरे युट्युब चैनल पर आपका स्वागत है|"मेरे मन की" पर ढेरो साहित्यीक रचनाओं जैसे कवितायेँ, गज़लें , कहानिया , मुक्तक , शायरी , लेख और संस्मरण आदि का आनंद ले सकते हैं|इसके साथ ही आप हिंदी साहित्य से जुड़ी सभी जानकारीयाँ और खबरो का आनंद उठाते रहेंगे|हिंदी सा

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इज़्ज़त की भीख (कहानी)

14 अगस्त 2018
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सरकारी बैंक में प्रबंधक कार्तिक आज कई हफ़्तों बाद अपने अंतरिक्ष विज्ञानी दोस्त सतबीर के घर आया हुआ था। सतबीर के घर रात के खाने के बाद बाहर फिल्म देखने का कार्यक्रम था। खाना तैयार होने में कुछ समय था तो दोनों गृहणियाँ पतियों को बैठक में छोड़ अपनी बातों में लग गयीं। इधर कुछ बातों बाद कार्तिक ने मनोरंजन

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