कराची के गली-मोहल्लों में पिछले काफी समय से नीली साड़ी वाली एक मृत लड़की की तथाकथित ‘भटकती आत्मा’ के किस्से सरगर्मी से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। कुछ साल पहले ताहिरा नामक एक लड़की एक दुर्घटना में मौत का शिकार हो गई थी। लेकिन उसकी हर बरसी के बाद पुलिस को यह रिपोर्ट मिली कि किसी नीली साड़ी वाली लड़की ने अमुक स्थान पर रात में किसी मोटरकार को रास्ते में रोका और उसके चालक से पास की जगह पर ‘लिफ्ट’ देने की याचना की। उस लड़की से मुलाकात के एक-दो दिन बाद ही वह कार चालक स्वयं भी किसी-न-किसी हादसे का शिकार होकर मौत के मुंह में चला गया।
नीली साड़ी वाली इस रहस्यमय लड़की का पहला शिकार कराची का एक उद्योगपति हुआ। यह उद्योगपति आधी रात के बाद एक नाइट क्लब से निकलकर कार से अपने घर जा रहा था कि रास्ते में उसे एक नीली साड़ी वाली लड़की ने रोका। कार रुकी तो लड़की ने कहा-अगर आपको तकलीफ न हो, तो आप मुझे मेरे घर तक छोड़ दीजिए।
उद्योगपति इसके लिए राजी हो गया। लेकिन जब उसने अपनी गाड़ी उस लड़की के बताए हुए मोहल्ले में रोकी तो उसने पाया कि लडकी कार से गायव थी। उस नौजवान ने यह अनोखी घटना अपने कई दोस्तों को भी सुनाई। घटना के तीन-चार दिन बाद ही एक कार दुर्घटना में उसकी मौत हो गई।
इस घटना के कुछ दिन बाद ही एक मैकेनिक तथाकथित प्रेत छाया का शिकार हो गया। रात्रि के समय वह मैकेनिक कारखाने से अपना काम निबटाकर स्कूटर से अपने घर वापस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक नीली साड़ी वाली लड़की ने रोका और उससे प्रार्थना की कि वह उसे पास की ही एक इमारत तक पहुंचा दे। बताया जाता है कि मैकेनिक पहले तो कुछ झिझका, लेकिन तभी उसकी निगाह लड़की की गर्दन के आसपास के कुछ जख्मों पर पड़ी और उसका हृदय पसीज उठा। रास्ते भर लड़की पूरी तरह मौन रही। स्कूटर के रुकने पर वह चुपचाप उससे उतर पड़ी और अभी मैकेनिक ने आगे बढ़ने के लिए अपना स्कूटर मोड़ा भी नहीं था कि वह पूरी तरह अदृश्य हो चुकी थी। आप पूछेगे, मैकेनिक का क्या हुआ? वह दो-चार दिन बाद ही अपने कुछ दोस्तों के साथ समुद्र में नहाने के लिए निकला और वहां पानी में डूबकर उसकी मृत्यु हो गई।
मैकेनिक के बाद एक पुलिस अधिकारी की बारी आई। तस्करी-नियंत्रण विभाग का यह वरिष्ठ अधिकारी एक रात कार से अपने घर वापस लौट रहा था। उसने देखा कि नीली साड़ी पहने एक लड़की उसे रुकने का इशारा कर रही थी। उसने अपनी गाड़ी रोक दी।
उसे शक हुआ कि वह लड़की अपराधियों के किसी गिरोह से जुड़ी हुई है। लड़की ने उसे बताया कि वह एक दुर्घटना में जख्मी हो गई है और जल्दी-से जल्दी अपने घर पहुंचना चाहती है। पुलिस अधिकारी को उसने अपनी गर्दन पर हुए जख्म दिखाए। आखिर वह उसे उसके घर तक लिफ्ट देने के लिए राजी हो गया। उसकी गाड़ी एक बंगले के सामने पहुंची, लड़की ने उसे वहीं रुकने का इशारा किया। लड़की के अंदर जाने पर अधिकारी ने एहतियातन उस बंगले का नंबर नोट कर लिया और फिर कार अपने गंतव्य की ओर मोड़ ली।
दूसरे दिन उस लड़की के बारे में आवश्यक जानकारी लेने जब वह अधिकारी उस बंगले पर पहुंचा, तो वहां रहने वाले एक वृद्ध सज्जन ने कहा कि संदिग्ध लड़की का हुलिया बिल्कुल उसकी अपनी बेटी ताहिरा जैसा है। उसने बताया कि बरसों पहले एक दिन ताहिरा अपने भाई के साथ सैर करने के लिए निकली थी।
आधी रात के बाद जब वह वापस लौट रहे थे तभी उनकी कार एक बिजली के खंभे से जा टकराई। लड़का तो बच गया लेकिन ताहिरा ने वहीं दम तोड़ दिया।
लेकिन बूढ़े पिता की यह कहानी सुनने के बाद पुलिस अधिकारी पर क्या बीती? तीन-चार दिन बाद ही तस्करों के एक गिरोह को पकड़ने की कोशिश करते हुए वह गोलियों का शिकार हो गया।
Real horror story in hindi- मृतात्मा द्वारा अपने भवन की रक्षा
इंग्लैंड के लीसेस्टर शायर नामक स्थान के ‘बोसवर्थ’ नामक भवन में पिछले 300 वर्षों से उस घर की मालकिन की प्रेतात्मा भटक रही है।
वैसे यह प्रेतात्मा अन्य भूत-प्रेतों की भांति रात्रि में ही भवन में इधर से उधर मंडराया करती है। यह प्रेतात्मा बच्चों को हमेशा उपहार प्रदान किया करती है। जब बच्चे घरों में सो रहे होते हैं तो चुपचाप उनके पास पहुंचती है और बगल में उपहारों के पैकेट रखकर गायब हो जाती है।
जब बच्चों को अपने आप उपहार मिलने लगे तो यह चर्चा जंगल में आग की भांति सर्वत्र फैल गई। पता चला कि एक प्रेतात्मा ही बच्चों में उपहार बांटती है। बोसवर्थ नामक विशाल भवन को सर डिसोड्यो ने बनवाया था। उनकी उम्र 24 25 वर्ष के करीब थी। एक दिन उन्हें क्लब की युवती से प्रेम हो गया। उसे
उन्होंने बिना शादी के अपने घर में रख लिया। कुछ दिन तो मौज मस्ती से गुजरे। लेकिन एक रात्रि को सर डिसोड्यो की भवन की छत से गिरने से मृत्यु हो गई। अब डिसोड्यो की कुंआरी पत्नी को ही विशाल भवन की देखरेख करनी पड़ी। रात्रि में वह बिस्तर पर करवटें बदलती तो उसे डिसोड्यो की याद सताया करती। उसकी आंखों में आंसू भर आते। वह आंसू भरी आंखें लेकर बरामदे में लगी डिसोड्यो की आदमकद तस्वीर के पास जाती और एक ही बात कहती-काश! मेरी गोद तो भर दी होती, मैं बच्चों के सहारे ही अपनी जिंदगी काट लेती।’
बच्चों को देखकर वह आपे से बाहर हो जाया करती। अब डिसोड्यो ने कहा-‘यदि तुम्हें बच्चों से इतना ही प्यार है तो उन्हें उपहार देना शुरू कर दो। हां, यह उपहार मैं तुम्हें अपनी जादुई शक्ति से लाकर दे दिया करूंगा।’ सुनकर वह प्रसन्न हुई। उसी दिन से बच्चों के बीच रात्रि में उपहार बांटने लगी। वैसे डिसोड्यो की प्रेत बनी इस कुंआरी पत्नी का नाम ‘मोरिया’ था। मोरिया इंग्लैंड क्लब की सुंदरी भी रह चुकी थी। मोरिया की मृत्यु हुए तीन सदिया बीत गई है।
लेकिन अभी भी वह प्रेत योनि में ही है, वह खण्डहर अवस्था में खडे अपने भवन की रक्षा किया करती है और रात्रि में बच्चों के बीच जाकर उपहार बांटा करती है। इंग्लैंड में लोगों की धारणा है कि उपहार प्रदान करने वाली यह प्रेतात्मा किसी को सताती नहीं बल्कि गरीबों का दुखड़ा दूर करती है।