टूटे दिलो के तराने लिख रहा हूँ..!
नाकाम मोहबत के फ़साने लिख रहा हु.... !!
जो थे कभी आबाद उन दिलो के ...!
ऐसे बदनसीबों के जमाने लिख रहा हु...!!
हाँ एक शायर होने के नाते ...!
शबनम से फूलो पे तराने लिख रहा हु ...!!
चांदनी रात में रेत पे बैठे ..!
अस्मा पे नए अफ़साने लिख रहा हु ...!!
चाक जिगर से लहू का एक क़तरा लिए ...!
मोहब्बत को किसी और बहाने लिख रहा हूँ ...!!
शायर ज़िआउल हुसैन ज़िआ