मन मीत मेरे संगीत मेरे ..
ये जनम जनम का नाता है ..
सदियों से चली ये रीत है ..
प्रेम की न कोई परिभासा है ..
जो आता है वो जाता है ..
यही जग से सबका नाता है ..
कोई रोता है कोई मुस्काता है ..
सबका एक ही जनम दाता है ..
कोई रुखा खाये कोई सूखा सोये ..
सब अपने भाग्य का खाता है ..
जो गीर के फिर उठ जाता है , वही प्रेरणा दे जाता है ..
वीरो के आगे दुनिया ही नहीं ख़ुदा भी सर झुकता है ..!!!