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लिखना

22 अक्टूबर 2015

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लिखना कोई भावान्मेषी गीत

या हो कोई सुमधुर संगीत


देने को एक अभिलाषा

रंग भरने को चित्र विलासा


कवि की क्या पहचान 

कुची की राग वितान


लेखक ने क्या रंग दिखाया

लेखनी ने जो कागज दमकाया



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वर्तिका

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कम शब्दों में, सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

23 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

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अति सुन्दर कविता, मनीष जी ! बहुत बधाई !

23 अक्टूबर 2015

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दुर्गापूजा

18 अक्टूबर 2015
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अभी बुराई पर अच्छाई पर जीत के प्रतीकस्वरूप दुर्गापूजा और नवरात्रि चल रही है । इस अवसर पर भी अखवार में दुष्कर्मों की सूचनाएँ पढ़ कर बड़ा दुःख हो रहा है । क्या हो गया है उस देश को जहाँ नारी शक्ति का अवतार मानी जाती है । लगता है की कुछ लोगों के रूप में महिषाषुर ने फिर से जन्म लिया है । उन्हें ख़त्म करने क

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कहीं न कहीं तो तुम हो

18 अक्टूबर 2015
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जीवन के सफर में कब तुम्हें खो दियापता ही न चलावीरान राहों पर पत्ते खड़खड़ाए तोपता चला तुम साथ न होयह विश्वास नहीं कि तुम हो ही नहींतुम हो कहीं न सहीतुम छुटे खता मेरी कि योजना तुम्हारीसमझ नहीं पाया आज भीतेरा चेहरा देखने के भ्रम में पलकें उठाता हूँ राहें नजर आती कहती हैं हो कहीं तुम कहीं न कहीं तो तुम ह

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लिखना

22 अक्टूबर 2015
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लिखना कोई भावान्मेषी गीतया हो कोई सुमधुर संगीतदेने को एक अभिलाषारंग भरने को चित्र विलासाकवि की क्या पहचान कुची की राग वितानलेखक ने क्या रंग दिखायालेखनी ने जो कागज दमकाया

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